क्या है बजरंगबली और शनिदेव के बीच में संबंध? जानें क्यों शनिवार को बजरंगबली और शनिदेव की पूजा करना है जरूरी?

क्या है बजरंगबली और शनिदेव के बीच में संबंध? क्यों की जाती हैं शनिवार के दिन दोनों की पूजा?

हर हफ्ते का एक-एक दिन किसी न किसी भगवान के लिए खास होता है। इनमें से शनिवार का दिन शनिदेव का होता है। इस दिन अगर हम भगवान शनि की पूजा करते हैं तो उनका आशीर्वाद मिलता है और हमारी सारी परेशानियाँ दूर हो जाती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शनिवार को शनिदेव के साथ-साथ बजरंगबली की पूजा करना भी बहुत फायदा देता है? धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो लोग शनिवार के दिन बजरंगबली की पूजा करते हैं उनसे शनिदेव उनसे बहुत खुश होते हैं और उन्हें परेशान नहीं करते। तो चलिए जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है?

त्रेतायुग में बजरंगबली ने शनिदेव को किया था कारागार से मुक्त

रामायण काल में रावण के बंदी थे शनिदेव

त्रेतायुग के रामायण के समय जब रावण ने माता सीता का अपहरण किया था तब प्रभु श्रीराम के कहने पर बजरंगबली माता सीता को खोजते हुए लंका पहुंचे। जैसे ही बजरंगबली लंका में पहुँचे, उन्होंने देखा कि रावण ने शनिदेव को भी बंदी बना रखा है। जब बजरंगबली ने शनिदेव से इसके पीछे की वजह जाननी चाही तो पता चला कि रावण ने सिर्फ शनिदेव ही नहीं बल्कि कई अन्य ग्रहों को भी अपने कैद में रखा हुआ था।

क्या है बजरंगबली और शनिदेव के बीच में संबंध? क्यों की जाती हैं शनिवार के दिन दोनों की पूजा?

बजरंगबली ने करवाया था मुक्त

तब बजरंगबली ने शनिदेव को रावण के कारागार से छुटकारा दिलवाया था। इस तरह शनिदेव बजरंगबली के सहयोग से रावण के कैद से मुक्त होकर अत्यंत खुश हुए। तब शनिदेव ने बजरंगबली को वचन दिया कि जो भी व्यक्ति आपका भक्त होगा उसपर शनिदेव की कुदृष्टि नहीं होगी। शनिदेव की कुदृष्टि का प्रभाव हनुमान जी के भक्तों के ऊपर नहीं रहेगा।

शनिदेव ने बजरंगबली को दिया वजन

बजरंगबली की मदद से शनिदेव रावण के जेल से बाहर आ गए। इसके बाद उन्होंने यह वादा किया कि जो भी भक्त शनिवार के दिन सच्चे दिल से उनकी पूजा करेगा उसे किसी भी तरह का बुरा असर नहीं होगा। तभी से हर शनिवार को शनिदेव के साथ बजरंगबली की पूजा की जाने लगी। अगर किसी को शनिदेव की साढ़े साती या ढैय्या का असर कम करना है तो उसे भी शनिवार को बजरंगबली की अराधना जरूर करनी चाहिए।