शनिदेव को कर्मफल दाता कहा जाता है. ये लोगों को उनके अच्छे-बुरे कर्मों के अनुसार फल देते हैं.

शनिदेव को सबसे क्रूर ग्रह माना जाता है. ये भी कहा जाता है कि जिस व्यक्ति के ऊपर शनि की कू दृष्टि पड़ जाती है, उसके बुरे दिन शुरू हो जाते हैं.

इसलिए अपनी कुंडली का शनिग्रह सही स्थिति में रखने के लिए मनुष्य को शनिदेव पर तेल चढ़ाने का सुझाव दिया जाता है.

शनिदेव की पूजा के लिए शनिवार का दिन अच्छा माना जाता है. ये उन्हें पूर्ण रूप से समर्पित होता है.

लेकिन क्या आप जानते है कि शनिदेव को तेल क्यों अर्पित क्यों किया जाता है? आइए जानते हैं.

मान्यता है कि शनिदेव पर सरसों का तेल अर्पित करने से वो प्रसन्न होते हैं. साथ ही, मनुष्य को उनके साढ़े साती, शनिदोष या फिर ढैया से छुटकारा मिलता है.

पौराणिक कथा के अनुसार, सतियुग में लंकापति रावण ने 9 ग्रहों को अपना बंदी बनाया था. जिसमें उसने शनिदेव को उल्टा लटका कर कारावास में बंद कर रखा था.

जब हनुमान जी अपनी पूछ से समस्त लंका दहन कर रहें थे, तब उन्होंने सभी बंदियों को रावण की कैद से मुक्त कराया था.

वहीं, काफी समय से उल्टा लटका होने के कारण शनिदेव का शरीर दर्द करने लगा था.

शनिदेव को इसी पीड़ा से मुक्त कराने के लिए बजरंगबली ने उन्हें तेल से स्नान कराया था.

बस, तभी शनिदेव को सरसों का तेल अर्पित करने की प्रथा चली आ रही है.