हिंदू धर्म ग्रंथों में भगवत गीता को काफी पवित्र ग्रंथ माना गया है. जिसके उपदेश भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए थे.

द्वापर युग में हुए परिवार के बीच सबसे बड़े युद्ध महाभारत के समय श्रीकृष्ण ने कुरूक्षेत्र में अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था.

माना जाता है कि गीता में मनुष्य के जीवन से जुड़ें उन सभी रहस्यों और अनसुलझें प्रश्नों का ज्ञान हैं. जिसे पाकर मनुष्य हर क्षेत्र में तरक्की कर सकता है.

गीता में लिखे हर श्र्लोक में इतनी शक्ति है कि इसमें निहित हर श्र्लोक को सही से समझने से मनुष्य संसार की सभी पीड़ाओं से मुक्त हो सकता है.

परंतु महज़ गीता पढ़ लेने से मनुष्य संसार की सभी मोहमाया से मुक्ति नहीं पा सकता. इसके लिए गीता को पढ़ने के कुछ नियम हैं. जिन्हें अपनाना ज़रूरी है.

गीता कोई साधारण किताब नहीं है. इसे पढ़ने के चार स्टेप होते हैं.

गीता को बार-बार पढ़ना और सुनना चाहिए. गीता एक बार पढ़ने पर आसानी से समझ नहीं आ सकती. इसलिए इसे जितनी बार पढ़ेंगे. उतनी बार चेतना का विस्तार होगा.

विचार करने से आपको अपने जीवन की सही-गलत घटनाओं का बोध होने लगेगा.

विचार करने से आपको अपने जीवन की सही-गलत घटनाओं का बोध होने लगेगा.

आखिरी और सबसे ज़रूरी है गीता में दिए गए उपदेश को परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अपने जीवन में उतारना.

इन सभी स्टैप्स को अच्छे से निभाकर कोई भी मनुष्य जीवन की मोहमाया से मुक्ती पा सकता है.