1. किसी भी सुहागिन महिला की निशानी उसका सौलह श्रृंगार होता है. बिना श्रृंगार के उसे अधूरा माना जाता है.
2. लेकिन इन सौलह श्रृंगारों में से जो एक स्त्री की पहचान होती है, वो है उसका सिंदूर और मंगलसूत्र. ये एक पवित्रता का प्रतीक है.
3.जब कभी मंगलसूत्र की बात की जाती है, तो हमारे दिमाग में काले और पीले रंग के मोती से बना एक सूत्र चित्रित होता है.
4.लेकिन फैशन के इस युग में आज महिलाएं अलग-अलग तरह के डिज़ाइन्स के मंगलसूत्र बनवाती है. जो की अनुचित है. इसलिए इस सूत्र से जुड़ें कुछ ध्यान रखने वाली बातें है.
5.धार्मिक मान्यतानुसार मंगलसूत्र के सूत्र में काले और पीले रंग के मोती ही पिरोए हुए होने चाहिए. क्योंकि ये माना जाता है कि ये दो रंग स्त्री के वैवाहिक जीवन को बुरी नज़रों से बचाता है और उसकी रक्षा करता है.
6. वहीं, इसके पीछे ये भी माना जाता है कि काला रंग शनिदेव को प्रिय होता है और पीला रंग भगवान विष्णु का. इसलिए भी मंगलसूत्र में ये दो रंग होने चाहिए.
7. मंगलसूत्र पति और पत्नि को एक-दूजे से बांधकर रखता है.
8. शनिदेव पति-पत्नि के जीवन को प्रगति की तरफ ले जाने का आशीर्वाद देते हैं.
9. वहीं, जगतपति श्रीहरि विष्णु उनके रिश्ते के अच्छे संचालन का आशीर्वाद देते हैं.
10. इसके अलावा यदि मंगलसूत्र टूट जाता है तो उसे दूसरे मंगलसूत्र से बदल लेना चाहिए. खंडित मंगलसूत्र को अपने गले में कभी धारण नहीं करना चाहिए.