हिंदू धर्म में दिवाली यानी की दीप के त्योहार का विशेष महत्व माना जाता है. इस दिन पूरे भारत में चारों ओर रोशनी छाई रहती है.

हर साल दिवाली कार्तिक मास की अमावस्या को मनाई जाती है. इस बार दिवाली 12 नवंबर को मनाई जाएगी.

दिवाली के मौके पर रात को लक्ष्मी-गणेश की पूजन का विधान सदियों से चलता आ रहा है. उससे पहले मंदिर में लक्ष्मी गणेश की नई प्रतिमा विराजित की जाती है.

साथ ही हर साल दिवाली के दिन माता लक्ष्मी और श्रीगणेश की नई प्रतिमा खरीदकर उसकी पूजा की जाती है.

लेकिन मार्किट में कई तरह की प्रतिमाएं दिखाई जाती है. ऐसे में ये समझना मुश्किल हो जाता है कि किस तरह की प्रतिमा लेना उचित है.

इसके लिए आपको बता दे कि लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा दिवाली से दो दिन पहले धनतेरस पर ही खरीद लेनी चाहिए. लक्ष्मी-गणेश को घर लाने का सबसे शुभ दिन धनतेरस ही होता है.

अक्सर बाज़ार में संयुक्त गणेश-लक्ष्मी की मुर्तियां मिलती है. लेकिन संयुक्त गणेश-लक्ष्मी प्रतिमा खरीदना अशुभ माना गया है.

गणेश जी की सूंड भी दाएं ओर की तरफ मुड़ी होनी चाहिए. गणेश जी की मुर्ति में वो अपने हाथ में मोदक लिए वाहन चूहे पर सवार होने चाहिए.

महान विद्वानों का कहना है कि मूर्ति खरीदते समय इस बात का खास ध्यान रखें की लक्ष्मी मां के हाथों से धन की वर्षा हो रही हो.

दिवाली की पूजा के लिए लक्ष्मी की प्रतिमा लेते समय इस बात का ध्यान रखें कि उस प्रतिमा में माता हाथी या कमल पर ही विराजित हो.