हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से चार दिवसीय महापर्व छठ की शुरूआत होती है.

इस साल लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व यानी की छठ 19 नवंबर से शुरू होने जा रहा है. जो पूरे देश में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.

ऐसे में आइए जानते है छठ पूजा की थाली में कितने तरह के व्यंजन होने चाहिए.

पहले दिन नहाय-खाए की रस्म, दूसरे दिन खरना और तीसरे दिन सांझ में सूर्यास्त को अर्घ्य देकर अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर इस व्रत की समाप्ति की जाती है.

पहले दिन नहाए-खाए की रस्म में प्याज-लहसुन के बिना दाल चावल और कद्दू की सब्जी बनाने की रीत है.

कद्दूभात

छठी व्रत की थाली में कद्दू की सब्जी के साथ-साथ पुड़िया और हरे चने की सब्जी बनाने का भी विधान है.

पूड़ी-सब्ज़ी

दूसरे दिन यानी खरना के लिए शाम को गुड़ की खीर का प्रसाद सभी व्रती महिलाएं ग्रहण करती हैं. इसके साथ ही सबको प्रसाद के रूप में खीर बांटती है.

चावल के साथ गुड़ की खीर

छठ पूजा की थाली में ठेकुआ विशेष प्रसाद माना गया है. ठेकुआ आटे और गुड़ से बनाए जाने वाला प्रसाद है. गेहूं से आटा पिसवाकर उस आटे को गुड़ की चाशनी में गूंथा जाता है.

ठेकुआ

इसके बाद उसे घी में तला जाता है. इसे खजुरिया या ठिकारी के नाम से भी जाना जाता है.

इसके बाद उसे घी में तला जाता है. इसे खजुरिया या ठिकारी के नाम से भी जाना जाता है.

36 घंटों के कठोर निर्जला व्रत के बाद सभी व्रती महिलाएं कढ़ी-चावल और आलू के पकौड़ों के साथ अपने व्रत का पारण करके छठ पूजा की समाप्ति करती हैं.

कढ़ी-चावल और आलू के बजके