व्रत समाप्ति के बाद क्यों जरूरी है उद्यापन? जानिए इसके पीछे का रहस्य

किसी भी व्रत समाप्ति के बाद क्यों जरूरी है उद्यापन?

हिन्दू धर्म में लोग अपनी इच्छा पूरी करने के लिए व्रत करते हैं. कुछ लोग अच्छे भाग्य के लिए भी व्रत करते हैं. कुछ बिना बोले व्रत करते हैं तो कुछ व्रत करने का वादा करते हैं. जब व्रत का समय पूरा हो जाता है तब उद्यापन करना जरूरी होता है. ऐसा कहा जाता है कि अगर उद्यापन न किया जाए तो भगवान नाराज हो जाते हैं. इससे लोगों को कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं. इसलिए अब हम आपको उद्यापन के बारे में जानकारी देंगे.

उद्यापन करना है महत्वपूर्ण

व्रत के बाद उद्यापन करना महत्वपूर्ण होता है. उद्यापन के बगैर व्रत का फल हासिल नहीं होता है. बता दें कि व्रत का समय पूरा होने के बाद जो अंतिम पूजा या आखिरी व्रत होता है उसे ही उद्यापन कहा जाता है. लोग व्रत तो पूरा कर लेते हैं लेकिन कई बार बिना जानकारी और समय न होने के कारण व्रत का उद्यापन नहीं कर पाते हैं. इसी वजह से उन्हें व्रत का फल नहीं मिल पाता है और व्रत असफल हो जाता है. इसलिए जरूरी है कि व्रत पूरा होने के बाद उसका उद्यापन करें. आप किसी योग्य ब्राह्मण या किसी पुरोहित से उद्यापन करवा सकते हैं. आपने जितने व्रतों का संकल्प लिया हो उसके पूरा होने के बाद उद्यापन जरूर कर लें. 

क्या है उद्यापन ?

उद्यापन का अर्थ होता है भलि-भांति किसी काम का पूरा हो जाना. विधिपूर्वक कार्य संपन्न होना और व्रत आदि समाप्त होने के बाद किया जाने वाला धार्मिक कार्य जैसे हवन, पूजन और भोजन आदि. नंदी पुराण और निर्णय सिंधु के अनुसार बिना उद्यापन के किया गया कोई भी व्रत विफल हो जाता है. इसलिए आप चाहे कोई भी व्रत करें, चाहे वो व्रत एक दिन ही क्यों न किया गया हो, लेकिन उसका उद्यापन जरूर करना चाहिए.

उद्यापन के बाद दोबारा रख सकते हैं व्रत ?

काफी लोग ये सोचते हैं कि एक बार किसी व्रत को रख लिया जाता है और उसके बाद उस व्रत का उद्यापन कर दिया जाए तो क्या उस व्रत को दोबारा रखा जा सकता है. कहा जाता है कि उस व्रत को दोबारा रख सकते हैं, लेकिन लोगों को ये लगता है कि जिस व्रत का उद्यापन कर दिया जाता है उसे पुन: नहीं कर सकते हैं. बता दें कि आपने जिस व्रत का भी उद्यापन किया हो उसे पुन: शुरू किया जा सकता है. नई श्रृंखला के साथ आप फिर से उस व्रत को रख सकते है. एक बात का जरुर ख्याल रखें कि जब आपका उपवास समाप्त हो जाए तो उसका उद्यापन किसी महान और जानकार पुरोहित से ही करवाएं.