सप्ताह का हर एक दिन किसी-न-किसी भगवान को समर्पित है. जिसमें से शनिवार का दिन शनिदेव का माना जाता है. इस दिन भगवान शनि की पूजा करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और भक्तों के सारे कष्ट व दुविधाएं दूर होती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शनिवार के दिन शनिदेव के साथ बजरंगबली की भी पूजा करने का खास अवसर होता है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, जो भक्त शनिवार के दिन बजरंगबली की पूजा-अर्चना करते हैं, उनसे शनिदेव अत्यंत खुश होते हैं और उनपर बुरा प्रभाव नहीं डालते हैं. चलिए जानते है ऐसा क्यों है?

त्रेतायुग में बजरंगबली ने शनिदेव को किया था कारागार से मुक्त
रामायण काल में रावण के बंदी थे शनिदेव
त्रेतायुग के रामायण काल के समय जब रावण ने माता सीता का अपहरण किया था. तब प्रभु श्रीराम की आज्ञा से बजरंगबली माता सीता को ढूंढ़ते हुए लंका पहुंचे थे. लंका पहुंचते ही बजरंगबली ने देखा कि रावण ने कारागार में शनिदेव को भी बंधक बना रखा है. जब बजरंगबली ने शनिदेव से इसके पीछे की वजह पूछी तो पता चला कि रावण ने शनिदेव के साथ ही कई अन्य ग्रहों को भी अपना बंदी बनाया हुआ था.
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बजरंगबली ने करवाया था मुक्त
तब बजरंगबली ने शनिदेव को रावण के कारागार से छुटकारा दिलवाया था. इस तरह शनिदेव बजरंगबली के सहयोग से रावण के कैद से मुक्त होकर अत्यंत खुश हुए. तब शनिदेव ने बजरंगबली को वचन दिया कि जो भी व्यक्ति आपका भक्त होगा, उसपर शनिदेव की कुदृष्टि नहीं होगी। शनिदेव की कुदृष्टि का प्रभाव हनुमान जी के भक्तों के ऊपर नहीं रहेगा।

शनिदेव ने बजरंगबली को दिया वजन
बजरंगबली के सहयोग ने शनिदेव रावण के कारागार से मुक्त हुए और प्रसन्न होकर वचन दिया कि जो भक्त शनिवार के दिन आपकी सच्चे मन से पूजा-अर्चना करेगा, उसपर कभी किसी भी प्रकार का बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा. इसके बाद से ही शनिवार के दिन शनिदेव के साथ बजरंगबली की पूजा की जाती है. शनिदेव की साढ़े साती और ढैय्या के प्रभाव को कम करने के लिए भी शनिवार के दिन बजरंगबली की अराधना अवश्य करनी चाहिए.