सुहागिन महिलाओं के लिए करवाचौथ एक खास पर्व है. करवाचौथ का पर्व पति-पत्नि के बीच का प्यार और संबंध और अधिक मजबूत कर देता है. करवाचौथ का व्रत हर शादीशुदा महिला अपने पति की लंबी आयु और बेहतर जीवन की कामना मांगते हुए रखती हैं. ये व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के चतुर्थी तिथि को रखने का विधान है.

इस बार करवाचौथ का व्रत 01 नवंबर को रखा जाएगा. इस खास दिन पर व्रत रखने से करवा माता हर सुहागिन महिला को सदा सुहागन बने रहने का आशीर्वाद देती हैं. लेकिन कुछ ऐसी बातें है जिनका खास ख्याल रखना बेहद जरूरी है.
सुहागिन महिलाओं को इस दिन सफेद या काली रंग की साड़ी या किसी भी तरह के वस्त्र और सुहाग की सामग्री नहीं धारण करनी चाहिए. साथ ही सफेद रंग की चुड़ियां भी नहीं खरीदनी चाहिए. जो महिला इस दिन वर्त रखती है, उन्हें किसी भी तरह के धारदार चीज़ें नहीं इस्तेमाल करनी चाहिए. जैसे कि कैंची, चाकू, सूई. करवाचौथ के दिन धारदारी चीज़ें खरीदना या उन्हें इस्तेमाल करना अशुभ माना गया है.

करवाचौथ का व्रत अखंड सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन का प्रतीक माना जाता है. इसलिए किसी भी सुहागिन महिला को इस दिन अपनी सुहाग की निशानियां और 16 श्रृंगार की सामग्री किसी और से नहीं शेयर करनी चाहिए.
इसके अलावा अक्सर महिलाएं काम से थकहार के दिन में आराम करती है. लेकिन करवाचौथ के दिन जो महिला व्रत रखती है उन्हें दिन के समय नहीं सोना चाहिए. इससे व्रत का फल निष्फल हो जाता है.