हिन्दू धर्म में व्रत का महत्व बहुत ही ज्यादा है. अपनी मनोकामनाएँ पूरी करने के लिए लोग तरह-तरह के व्रत रखते हैं. ऐसे में हिन्दू धर्म में कुछ ऐसे भी व्रत है, जो माताऐं अपनी संतानों की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य, सुरक्षा और खुशियों के लिए रखती हैं. ऐसा माना जाता है इन व्रतों को रखने से संतानों के मार्ग में आने वाली सभी परेशानियाँ दूर हो जाती हैं.
छठ पूजा
छठ का व्रत कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को रखा जाता है. इस दिन औरतें अपनी संतानों के लिए व्रत रखती हैं. इस व्रत को करने से उनकी संतानों को छठी मैया और सूर्य देव का आशीर्वाद मिलता है. यह व्रत मुख्य तौर पर बिहार में किया जाता है. हालांकि अब देश के कई हिस्सों में भी यह व्रत किया जाता है.

अहोई अष्टमी
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को अहोई अष्टमी के नाम से जाना जाता है. यह व्रत बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य और जीवन के लिए उनकी माताएँ रखती हैं. सभी मताएँ तारों को देखकर अर्ध्य देती हैं और अपना व्रत संपन्न करती हैं.

संतान सप्तमी
भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को संतान सप्तमी कहा जाता है. मान्यतानुसार, इस व्रत को करने से महिलाओं को संतान सुख प्राप्त होता है और साथ ही उनके बच्चों को भगवान का आशीर्वाद मिलता है और उनका जीवन खुशहाली से भरता है.

पुत्रदा एकादशी
पुत्रदा एकादशी को साल में दो बार मनाया जाता है. पहली पौष शुक्ल पक्ष में और दूसरी सावन शुक्ल पक्ष में. संतान प्राप्ति या उससे जुड़े सुख के लिए ये व्रत काफी फलदायी माना गया है.

जितिया व्रत
अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीतिया व्रत रखा जाता है. इसे जीवित्पुत्रिका व्रत के नाम से भी जाना जाता है.

स्कन्द षष्ठी
हर महीने की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कन्द षष्ठी व्रत रखा जाता है. साथ ही, भगवान कार्तिकेय की इस दिन विधिवत पूजा की जाती है. इस व्रत को खासतौर पर दक्षिण भारत में रखा जाता है. प्रत्येक माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को संतान सप्तमी का व्रत किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इसके प्रभाव से संतान प्राप्ति, समृद्धि और खुशहाली का वरदान प्राप्त होता है.