शुक्रवार के दिन माँ संतोषी की पूजा होती है। यह दिन संतोषी माता को बहुत ही प्रिय है। कहा जाता है कि शुक्रवार को संतोषी माता की पूजा जो भी व्यक्ति सच्चे मन से करता है, उसके ऊपर संतोषी माता की कृपा होती है और हर मनोकामना पूर्ण होती है।
माँ संतोषी को सुख-शांति और वैभव का प्रतीक माना जाता है। शुक्रवार को नियमित व्रत करने से जीवन में हमेशा संतोष और शांति बनी रहती है। इसके साथ-साथ शुक्रवार का व्रत करने से विवाह और धन से संबंधित परेशानियां दूर होती है।
कोई भी व्रत या पूजा बिना आरती के अधूरा माना जाता है। इसलिए व्रत या पूजा के बाद आरती करना बहुत ही आवश्यक माना जाता है। इसलिए पूजा करने के बाद आरती करनी चाहिए। यदि आप भी शुक्रवार के दिन संतोषी माता का व्रत रखते हैं तो पूजा के बाद आरती जरूर पढ़ें। लगातार 16 शुक्रवार तक माँ संतोषी की पूजा करने से संतोषी माता की कृपा मिलती है और भाग्योदय होता है।
संसार की मनचाही वस्तुओं को प्राप्त करने के लिए यदि आप व्रत रखने में सक्षम नहीं हैं तो कम से कम सपरिवार मिलकर मां संतोषी की आरती अवश्य करें। उन्हें शुक्रवार के दिन गुड़ और चने का भोग लगाएं। इस प्रसाद को सारा परिवार मिलकर खाएं।

शुक्रवार के दिन खट्टी चीजें खाने से बचना चाहिए। परिवार के किसी भी सदस्य को मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। सच्चे मन में शुक्रवार के दिन कुंवारी कन्याओं द्वारा व्रत करने से उन्हें सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है। लव मैरिज करने का सपना भी पूरा होता है।
जीवन में कोई भी परीक्षा आए, उनमें व्यक्ति को मनचाही सफलता मिलती है। कोर्ट-कचहरी के मामलों में जीत हासिल होती है। यदि किसी ने बिजनेस किया है तो उनको बिजनेस में छप्पर फाड़ लाभ प्राप्त होता है।
- शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी को चढ़ाएं ये चीजें, घर में धन की होगी बरसात!
- माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए आज ही छोड़ दें इन आदतों को, हमेशा बनी रहेगी कृपा
- मंदिर में पूजा करते वक्त ध्यान रखें इन 10 जरूरी बातों को, बरसेगी ईश्वरीय कृपा
संतोषी माता की आरती (Santoshi Mata Aarti)
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
अपने सेवक जन को, सुख संपति दाता।।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..
सुंदर, चीर सुनहरी, मां धारण कीन्हो।
हीरा पन्ना दमके, तन शृंगार लीन्हो।।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..
गेरू लाल छटा छवि, बदन कमल सोहे।
मंद हंसत करूणामयी, त्रिभुवन जन मोहे।।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता ..
स्वर्ण सिंहासन बैठी, चंवर ढुरे प्यारे।
धूप, दीप, मधुमेवा, भोग धरें न्यारे।।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..
गुड़ अरु चना परम प्रिय, तामे संतोष कियो।
संतोषी कहलाई, भक्तन वैभव दियो।।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..
जय शुक्रवार प्रिय मानत, आज दिवस सोही।
भक्त मण्डली छाई, कथा सुनत मोही।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..
मंदिर जगमग ज्योति, मंगल ध्वनि छाई।
विनय करें हम बालक, चरनन सिर नाई।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..
भक्ति भावमय पूजा, अंगीकृत कीजै।
जो मन बसे हमारे, इच्छा फल दीजै।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..
दुखी, दरिद्री ,रोगी , संकटमुक्त किए।
बहु धनधान्य भरे घर, सुख सौभाग्य दिए।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..
ध्यान धरो जिस जन ने, मनवांछित फल पायो।
पूजा कथा श्रवण कर, घर आनंद आयो।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..
शरण गहे की लज्जा, राखियो जगदंबे।
संकट तू ही निवारे, दयामयी अंबे।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..
संतोषी मां की आरती, जो कोई नर गावे।
ऋद्धि सिद्धि सुख संपत्ति, जी भरकर पावे।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..