इस दिन दें चंद्रदेव को अर्घ्य, जाने पौष पूर्णिमा की तिथि

पौष पूर्णिमा

हिंदू पंचांग में पूर्णिमा को सबसे अहम तिथि माना जाता है. पूर्णिमा तिथि हर माह शुक्ल पक्ष के आखिरी दिन में आती हैं. हर माह को कृष्णपक्ष और शुक्ल पक्ष में बांटा गया है. जो 15-15 दिनों के अंतराल में आते हैं. कृष्ण पक्ष का आखिरी दिन अमावस्या होता है. जबकि शुक्ल पक्ष का आखिरी दिन पूर्णिमा होता है. पूर्णिमा पर चंद्रमा अपने पूरे आकार में होता है. हर महीने दो चंद्र नक्षत्रों के बीच के विभाजन को चिह्नित करने वाले दिन को पूर्णिमा कहते हैं. पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है. इस दिन को अलग-अलग जगहों पर तरह-तरह के नामों से जाना जाता है. जैसे पौर्णिमी और पूर्णमासी. ऐसे में आइए जानते हैं इस दिन का विशेष महत्व और साथ ही ये भी जानेंगे कि इस साल पौष पूर्णिमा कब है.

पूर्णिमा चरण के दौरान, चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच होता है. इससे उस पर पूरा प्रकाश पड़ता है और यह हम पूरा दिखाई देता है. इसका स्वभाव सूक्ष्म है. हिंदू धर्म में कृष्ण और शुक्ल पक्ष के आखिरी दिनों को यानी अमावस्या और पूर्णिमा दोनों दिनों को विशेष महत्व दिया गया है. पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का खासा महत्व है. इसके साथ ही इस दिन मां लक्ष्मी और चंद्रदेव की पूजा का भी विधान है. मान्यता है कि इस दिन दान करने से कई गुना अधिक शुभ फलों की प्राप्ति होती है.

इस दिन दें चंद्रदेव को अर्घ्य, जाने पौष पूर्णिमा की तिथि

इस साल कब है पौष पूर्णिमा-

इस साल पौष पूर्णिमा 25 जनवरी 2024 को है. पौष पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 24 जनवरी को रात 9 बजकर 49 मिनट से बताई जा रही है. जिसका समापन अगले दिन यानी 25 जनवरी की रात 11 बजकर 23 मिनट का माना जा रहा है. ऐसे में पूर्णिमा के स्नान और दान के लिए शुभ मुहूर्त 25 जनवरी को सुबह 5 बजकर 26 मिनट से सुबह 6 बजकर 20 मिनट तक माना गया है. वहीं, चंद्रमा को अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त 25 जनवरी शाम लगभग साढ़े पांच बजे का कहा जा रहा है.

पौष पूर्णिमा का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पौष पूर्णिमा के दिन स्नान-दान और पूजा-पाठ करना काफी शुभ होता है. इसके साथ ही घर-परिवार पर मां लक्ष्मी की अपार कृपा भी बरसती है. पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी, चंद्रदेव के साथ विष्णु जी और भोलेनाथ की पूजा का भी खास महत्व है.