अन्नपूर्णा जयंती पर करें 17 दिनों का महाव्रत, मुरादें जल्द होंगी पूरी!

अन्नपूर्णा जयंती पर करें 17 दिनों का महाव्रत, मुरादें जल्द होंगी पूरी!

भारत में रसोईघर को मंदिर जितना ऊंचा स्थान दिया गया है. रसोईघर को देवी की तरह पूजा जाता है. खाना पकाने और खाने से पहले अन्नपूर्णा देवी को नमन किया जाता है. उसके बाद ही पकाना और खाना प्रारंभ किया जाता है. अन्नपूर्णा देवी की जयंती आने वाली है इस दिन जो कोई मां का व्रत करता है, उसके घर कभी खाने की कमी नहीं होती. आइए जानते है आखिर कौन हैं माता अन्नपूर्णा? और इस साल कब पड़ रही है अन्नपूर्णा जय़ंती? साथ ही ये भी जानेंगे की इसका क्या महत्व है?

अन्नपूर्णा यानी की अन्न (खाना) और पूर्णा का अर्थ है ‘पूरी तरह से भरा हुआ’. अन्नपूर्णा को भोजन और रसोई की देवी माना जाता है. ये देवी पार्वती का अवतार मानी जाती है. जो अपने भक्तों को कभी भूखा नहीं रखती न ही उनके घर में अनाज की कमी आने देती है. घर की अन्नपूर्णा स्त्री को माना जाता है क्योंकि स्वादिष्ट व्यंजन बनाकर वे सबका पेट भरती है.

अन्नपूर्णा जयंती पर करें 17 दिनों का महाव्रत, मुरादें जल्द होंगी पूरी!

देवी अन्नपूर्णा का जन्म मार्गशीष माह का माना जाता है. हर साल मार्गशीष माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है. इस साल ये तिथि 02 दिसम्बर को पड़ रही है. ये दिन देवी को प्रसन्न करके आशीर्वाद पाने के लिए बेहद खास होता है. इसके लिए लोग माता का 17 दिनों का महाव्रत करते है. मान्यता है कि माता अन्नपूर्ण के इन 17 दिनों के कठिन महाव्रत में भक्तों को अन्न का त्याग करना होता है. इस दौरान वे दिन में केवल एक बार ही फलाहार ले सकते है. साथ ही, इस व्रत के दौरान नमक खाने पर भी रोक लगाई जाती है. माना जाता है कि इस व्रत को करने से देवी अन्नपूर्णा प्रसन्न होती हैं और उस घर में हमेशा बरकत करती हैं.