Baisakhi: बैसाखी में क्या है दान का महत्व, किन चीजों का दान कर पा सकते हैं सफलता

बैसाखी में दान का महत्व

बैसाखी में दान देना एक प्राचीन परंपरा है, जो आदिवासी समाजों में प्रचलित है। यह एक सामाजिक और धार्मिक आयोजन है जो समाज की समृद्धि और समानता को बढ़ावा देने का उद्देश्य रखता है। बैसाखी के दिन बिहार समेत कई जगहों पर सत्तू का दान और इसका सेवन करने की परंपरा है। ज्योतिष शास्त्र की मानें तो सत्तू का संबंध सूर्य, मंगल, गुरु से माना गया है।

दान पुण्य का महीना

बैसाख का महीना दान-पुण्य करने का महीना होता है। इस माह में आप जल का घड़ा, पंखा, तरबूज, खरबूजा आदि और बहुत सी चीजों का दान कर सकते हैं। इस माह में कच्चे आम, गुड़, शक्कर का दान करना बहुत फलदयी माना गया है। ऐसे में इन वस्तुओं का दान देकर आप पुण्य के भागी हो सकते हैं।

खीर दान करने से करियर में मिलेगी सफलता

बैसाखी के दिन चावल की खीर का भी दान किया जा सकता है। मान्यता है कि खीर का दान करने से साधक को करियर और बिजनेस में सफलता प्राप्त होती है। बैसाखी के दिन अपनी श्रद्धा अनुसार गेहूं का दान कर सकते हैं। इस दिन गेहूं का दान करना शुभ माना जाता है। वहीं उड़द की दाल का दान करना अच्छा माना जाता है।

कपड़ों का कर सकते हैं दान

अगर आप बैसाखी के दिन गरीब बच्चों या जरूरतमंदों को कपड़ों का दान करेंगी तो आपके घर में कभी भी धन की कमी नहीं होगी। ऐसा करने से आपके घर में धन का आगमन बढ़ सकता है और पूरे साल खुशहाली बनी रहती है। इस दिन नए कपड़ों का ही दान देना चाहिए। यदि पुराने कपड़ों का दान कर रहे हैं तो फटे कपड़े न दें। इस दिन गरीबों को अनाज का दान करते हैं तो ये भी आपके लिए शुभ होगा और इस दिन साबुत अनाज का दान करें।

सत्तू का धार्मिक महत्व

बैसाखी पर यही वजह है कि बिहार सहित कई क्षेत्रों में इस दिन सत्तू खाने और दान करने की परंपरा रही है। ज्योतिषीय दृष्टि से चने की सत्तू का संबंध सूर्य, मंगल और गुरु से भी माना जाता है। इसलिए कहते हैं कि, सूर्य के मेष राशि में आने पर सत्तू और गुड़ खाना चाहिए और इनका दान भी करना चाहिए। जो इस दिन सत्तू खाते हैं और इनका दान करते हैं वह सूर्य कृपा का लाभ पाते हैं।

1 3अप्रैल को कृषि पर्व बैसाखी और मेष संक्रांति है। आज दोपहर बाद सूर्य मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास समाप्त हो जाएगा।वहीं मेष संक्रांति पर स्नान-दान का विधान है। इसके लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान कर पूजा उपासना करते हैं। इसके पश्चात अपने सामर्थ्य से दान करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि संक्रांति के दिन स्नान-दान करने से व्यक्ति के समस्त पाप कट जाते हैं। साथ ही सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।