क्यों मनाई जाती है लोहड़ी? भारत समेत विदेशों में भी मनाने का प्रावधान!

क्यों मनाई जाती है लोहड़ी? भारत समेत विदेशों में भी मनाने का प्रावधान!

हिंदू समाज ही नहीं बल्कि पूरी पृथ्वी पर मकर संक्रांति का काफी महत्व माना गया है. मकार संक्रांति, नए साल का पहला पर्व होता है, इसलिए इसकी काफी अधिक महत्वता है. हर जगह इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है…उन ही में से इसका एक नाम हैं ‘लोहड़ी’. जो पंजाबियों का प्रसिद्ध त्योहार है. विशेष तौर पर लोहड़ी का पर्व फसलों से जोड़ा जाता है. पंजाब, हरियाणा समेत भारत के कई राज्यों में इस पर्व को पूरे रीति-रिवाज़ों के साथ बड़े हर्षोउल्लास से मनाया जाता है.

लोहड़ी मकर संक्रांति से ठीक एक दिन पहले मनाई जाती है. इस पर्व को पुरानी फसल की कटाई और नई फसल की बुआई के लिए खासतौर पर मनाया जाता है. जो सिख धर्म का प्रमुख त्योहार है. इस दिन अग्नि देव को मूंगफली, गुड़, रेवड़ी, रवि की फसल के तौर पर तिल आदि चीज़े अर्पिक की जाती है. इस साल लोहड़ी का त्योहार 14 जनवरी 2024 यानी रविवार को मनाया जाएगा.

क्यों मनाई जाती है लोहड़ी? भारत समेत विदेशों में भी मनाने का प्रावधान!

सूर्य देव का पूजन-

लोहड़ी के पावन अवसर पर समस्त जग को प्रकाश प्रदान करने वाले सूर्य देव की पूजा का विधान है. मान्यता है कि सूर्य भगवान की पूजा-अर्चना करने से सालभर फसलों की पैदावार अच्छी होती है.

अच्छी फसलों के लिए प्रार्थना-

लोहड़ी के पावन अवसर पर लोग अपनी-अपनी फसलों की अच्छी उत्पादकता के लिए भी प्रार्थना करते हैं. जिससे उनकी फसल अच्छी बनी रहे. लोहड़ी वाले दिन लोग अलाव जलाकर उसमें तिल, रेवड़ी, मूंगफली और घर पर बनाए मीठे पकवान चढ़ाते हैं. क्योंकि इन पकवानों को फसलों का प्रतीक माना जाता है.

अग्नि देव की पूजा-

लोहड़ी के दिन सूर्य देव के साथ अग्नि देव की पूजा का भी विधान है. अग्नि को पवित्रता और नई शुरुआत के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है. इसलिए नए साल के अवसर पर सालभर के लिए नई शुरूआत के चलते लोहड़ी के पर्व पर अग्नि की पूजा करने का प्रावधान है. इससे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और चारों ओर खुशहाली फैलती है.

लोहड़ी के दिन क्या किया जाता है   

  • लोहड़ी के दिन शाम को किसी खुले मैदान में लकड़ी और उपलों की ढ़ेरी बनाकर लोहड़ी को जलाया जाता है.
  • इसके बाद उसमें  मूंगफली, तिल, गुड़ और अन्य मीठे पकवानों को डाला जाता है. जो फसलों का प्रतीक होती हैं.
  • इसके बाद लोग लोहड़ी के चारों ओर नाचते और लोक गीत गाते हैं.
  • इसके बाद सब आपस में प्रेम पूर्वक गले मिलते हैं और पुराने गिले-शिकवें मिटाते हैं.
  • इस दिन बहनें अपने भाईयों को तिलक लगाती हैं और उनकी तरक्की के लिए उन्हें आशीर्वाद देती हैं.