चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है. ये तब होता है जब चंद्रमा, पृथ्वी की छाया में चला जाता है. हर साल चार ग्रहण लगते हैं. 2 चंद्र ग्रहण और दो सूर्य ग्रहण. इस बार साल का पहला चंद्र ग्रहण 25 मार्च को होगा. हिंदू धर्म शास्त्रों में ग्रहण के लगने से सूतक काल माना जाता है. जो चंद्र ग्रहण लगने से 09 घंटे पहले लग जाता है. चंद्र ग्रहण की ये अवधि अशुभ मानी जाती है. जिसके दौरान मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और देवी-देवताओं को भी इस दौरान छुने से ऐतराज़ किया जाता है. जिसके चलते ग्रहण समाप्ति के बाद मंदिर की सफाई और देवी-देवताओं की प्रतिमा को स्नान कराया जाता है. इसलिए ग्रहण से थोड़ी देर पहले कुछ नियमों का पालन किया जाता है. ताकि ग्रहण के अशुभ प्रभावों से बचा जा सकें. ऐसे में भगवान गणेश की एक प्रिय वस्तु है जिसका इस्तेमाल करने से ग्रहण के दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है. आइए जानते हैं वो कौनसी विशेष वस्तु है जिससे ग्रहण के दुष्प्रभाव घर पर नहीं पड़ते.
श्रीगणेश की अति प्रिय चीज़ ‘दूर्वा’. जो एक तरह की घास होती है. हिंदू धर्म में दूर्वा को बहुत शुभ और विशेष माना जाता है. साथ ही हिंदू शास्त्रों के मुताबिक, पूजा-पाठ में इस्तेमाल होने वाली हर एक चीज़ का विशेष महत्व होता है. जिनमें से एक दूर्वा है. इसके बिना कोई भी शुभ कार्य अधूरे माने जाते हैं. जिसके चलते दूर्वा का उपयोग पूजा-पाठ और शुभ कार्यों में भी किया जाता है. इसलिए मान्यता है कि ग्रहण से पहले खाने-पीने की वस्तुओं पर दूर्वा का इस्तेमाल करने से ग्रहण के दूष्प्रभाव नहीं पड़ते. बहुत आम सी दिखने वाली ये घास श्रीगणेश को अति प्रिय है. श्रीगणेश की पूजा के अलावा माता दुर्गा, सरस्वती और लक्ष्मी के साथ-साथ ये भोलेनाथ को भी अर्पित की जाती है. गणेश पूजन में 21 दूर्वा चढ़ाने से भगवान गणेश की असीम कृपा बरसती है. आइए जानते हैं चंद्र ग्रहण के दौरान क्यों इस्तेमाल की जाती है दूर्वा…

1. ग्रहण काल में दूर्वा इस्तेमाल करना शुभ माना जाता है. जो ग्रहण से होने वाले नकारात्मक प्रभावों को नष्ट कर सकता है.
2. ग्रहण लगने से पहले खाद्य सामग्री में दूर्वा डालने से सामग्री सुरक्षित रहती है.
3. साथ ही, ग्रहण समाप्ति के बाद कोई भी भोजन बिना दूर्वा के दूषित ही माना जाता है. जो सेहत पर नकारात्मक असर भी डालता है.
चंद्र ग्रहण के दौरान न करें ये गलतियां-
- इस साल का पहला चंद्र ग्रहण 25 मार्च को लगेगा. इस दौरान खाने-पीने की मनाही होती है. तो इसलिए ग्रहण के समय खाने-पीने से परहेज रखें.
- ग्रहण के सूतक काल के दौरान मंदिर या धार्मिक स्थल पर भी प्रवेश नहीं करना चाहिए. क्योंकि ग्रहण के दौरान वातावरण में नकारात्मकता और अशुद्धता होती है.
- इसके अलावा ग्रहण के समय बाल और नाखून नहीं कांटने चाहिए. साथ ही, ग्रहण के बाद स्नान अवश्य करना चाहिए.
- इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को बाहर नहीं निकलना चाहिए और नुकीली वस्तु का उपयोग भी नहीं करना चाहिए.