जानिए कब है सावन का अधिकमास अमावस्या, क्या है इसका महत्व?

जानिए कब है अधिक मास अमावस्या, क्या है इसका महत्व?

इस साल सावन अधिक मास का होगा. श्रावण अधिक मास की अमावस्या तिथि को अधिक मास अमावस्या मनाई जाएगी. यह अमावस्या हर 3 साल में एक बार आती है. मान्यताओं के अनुसार, अधिक अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. अमावस्या पर पितरों को खुश करने के लिए तर्पण और पिंडदान जैसे उपाय किए जाते हैं. इससे नाराज पितृ प्रसन्न होते हैं. चलिए जानते हैं इस साल अधिक मास अमावस्या कब है और पितृ दोष उपाय का समय क्या होगा?

अधिक मास अमावस्या 2023 की तिथि

हिंदू पंचांग के मुताबिक,  इस साल सावन अधिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि स्वतंत्रता दिवस वाले दिन यानि कि 15 अगस्त के दिन मंगलवार को दोपहर 12 बजकर 42 मिनट से शुरू हो रही है. य​ह तिथि अगले दिन 16 अगस्त बुधवार को दोपहर 03 बजकर 07 मिनट तक रहेगी. ऐसे में इसके उद्यापन तिथि के आधार पर अधिक मास अमावस्या 16 अगस्त बुधवार को है.

पितरों के तर्पण का सम

16 अगस्त को अधिक मास अमावस्या के दिन स्नान के बाद पितृ तर्पण कर सकते हैं. स्नान के बाद अंगुली में कुश की पवित्री पहनकर जल और काले तिल से पितरों का तर्पण करना चाहिए. कहा जाता है कि अमावस्या पर तर्पण करने से वह जल पितरों को प्राप्त होता है और वे इसे पाकर पूरी तरह तृप्त हो जाते हैं क्योंकि पितृलोक में जल की कमी होती है. इस जल तर्पण से पितृ दोष भी दूर हो सकता है.

पितृ दोष उपाय सम

इस अमावस्या पर पितृ दोष से मुक्ति के लिए पिंडदान, श्राद्ध कर्म, ब्राह्मण भोज, दान, पंचबलि कर्म आदि किए जाते हैं. इन पितृ दोष के उपायों को अमावस्या के दिन सुबह 11 बजकर 30 मिनट से दोपहर 2 बजकर 30 मिनट के मध्य करना शुभ है.

शिववास

अधिक मास अमावस्या पर शिव का वास गौरी के साथ होता है. इस दिन शिववास सुबह से लेकर दोपहर 03 बजकर 07 मिनट तक है. ऐसे में आप इस दिन सुबह से दोपहर 03:07 बजे के बीच में रुद्राभिषेक कर सकते हैं.

अमावस्या का महत्व

अमावस्या के दिन स्नान और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने, उसकी जड़ में जल ​अर्पित करने और दीपक जलाने से पितृ तथा देवगण प्रसन्न होते हैं.