एक ऐसा अनोखा मंदिर, जहाँ मेवे से होता है बाबा का श्रृंगार

एक ऐसा अनोखा मंदिर, जहाँ मेवे से होता है बाबा का श्रृंगार

भारत कई ऐतिहासिक प्राचीन मंदिरों का केंद्र है. जिनकी कई मान्यता है. इन्हीं ऐतिहासिक मंदिरों में से एक मंदिर इस कलयुग का नहीं, बल्कि त्रेता युग से है. उत्तरप्रदेश के लखनऊ में बुद्धेश्वर महादेव के नाम से एक अनोखा मंदिर है, जो रामायण काल से जुड़ा है. इस मंदिर के महादेव का श्रृंगार काफी अलग ढंग से होता है. इस बार उनका श्रृंगार मेवे से हुआ.

एक ऐसा अनोखा मंदिर, जहाँ मेवे से होता है बाबा का श्रृंगार

लखनऊ का इस बुद्धेश्वर महादेव मंदिर में प्रतिदिन बाबा का भव्य श्रृंगार होता है. साथ ही, भक्तों को यहाँ महादेव के अलग-अलग अद्भुत रूप के दर्शन होते है. मंदिर में पूरे दिनभर में चार बार आरती का प्रचलन है. इस मंदिर की खास बात ये है कि यहाँ बाबा का श्रृंगार सुबह नहीं, बल्कि शयन आरती से पहले होता है.

सुबह के समय बाबा को उनकी आरती से जगाया जाता है. जबकि उनका श्रृंगार रात को उनके सोने से पहले वाली शयन आरती के दौरान किया जाता है.बाबा का ये भव्य श्रृंगार उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर की शैली पर किया जाता है.

एक ऐसा अनोखा मंदिर, जहाँ मेवे से होता है बाबा का श्रृंगार

हर दिन महादेव का श्रृंगार अलग ढ़ंग से एक नए स्वरूप में किया जाता है. सबसे अनोखी बात ये है कि बुद्धेश्वर महादेव के श्रृंगार में बेसन, मैदा और सूखे मेवे जैसी सामग्रियाँ इस्तेमाल की जाती है.

मंदिर की आखिरी आरती बाबा के श्रृंगार के बाद रात 11 बजे के बाद होती है. इस आरती को शयन आरती कहते है. जो बाबा के सोने के समय होती है. इस आरती के बाद बाबा अपनी शयन अवस्था में चले जाते है.

एक ऐसा अनोखा मंदिर, जहाँ मेवे से होता है बाबा का श्रृंगार

बाबा की शयन आरती के ठीक बाद उनके दोनों द्वारों को काफी भव्य तरीके से सजाया जाता है. दोनों द्वार पर सूखे मेवे और फूलों से सजावट होती है. इसके अलावा एक द्वार पर राम नाम लिखा होता है, तो वहीं, दूसरे द्वार पर स्वास्तिक बनाया जाता है.

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