क्या होता है भद्राकाल? क्यों नहीं करना चाहिए इस समय कोई मांगलिक कार्य!

क्या होता है भद्राकाल? नहीं करना चाहिए इसमें मांगलिक कार्य!

हिंदू धर्म एक ऐसा धर्म है जिसमें हर काम को शुभ मुहूर्त देखकर किया जाता है, चाहे वह पूजा हो या शादी-ब्याह। इसलिए किसी भी महत्वपूर्ण काम से पहले पंचांग देखना जरूरी होता है ताकि सही समय का पता चल सके। मान्यता ये है कि शुभ तिथि और शुभ मुहूर्त में किए गए काम सफल होते हैं। हिंदू धर्म में भद्रा मुहूर्त को अशुभ माना जाता है। इसीलिए इस समय शुभ काम करने से मना किया जाता है। तो चलिए जानते हैं कि भद्राकाल को अशुभ क्यों माना जाता है और इसका शनिदेव से क्या रिश्ता है?

भद्राकाल का शनि से संबंध

धार्मिक कहानियों के अनुसार, भद्रा सूर्य देव की बेटी और शनि देव की बहन मानी जाती है। कहते हैं कि भद्रा का स्वभाव भी शनि देव के जैसा ही गुस्सैल होता है। भद्रा का रूप भी बहुत डरावना और विकराल बताया जाता है। उसे धन्या, दधिमुखी, महामारी, खरानना, कालरात्रि, महारुद्रा, विष्टि, कुलपुत्रिका, भैरवी महाकाली, और असुरक्षयकारी जैसे 12 अलग-अलग नामों से जाना जाता है।

इस काल में क्यों नही होते मांगलिक कार्य?

हिंदू धर्म में शुभ और मंगल कार्य करते समय भद्राकाल का बहुत ध्यान रखा जाता है। भद्राकाल में कोई भी शुभ कार्य शुरू नहीं होता और न ही खत्म होता है। इसका बड़ा कारण ये है कि भद्रा का स्वभाव हमेशा गुस्से और क्रोध से भरा रहता है। ऐसा कहा जाता है कि जब भद्रा का जन्म हुआ तब से ही उसने मंगल कार्यों में बाधा डालना और यज्ञों को बर्बाद करना शुरू कर दिया था। इसी स्वभाव के चलते देवताओं ने भद्रा से शादी करने से मना कर दिया था।

ऐसे समय में ब्रह्मा जी ने भद्रा के स्वभाव को नियंत्रण में रखने के लिए उसे पंचांग के एक खास समय का हिस्सा दिया था। इससे भद्राकाल में किए गए कामों में रुकावट आने की संभावना रहती है। इसलिए भद्राकाल में मुंडन, गृह प्रवेश, शादी जैसे शुभ कामों को करना मना है।

क्या होता है भद्राकाल? नहीं करना चाहिए इसमें मांगलिक कार्य!

पंचांग के किस भाग में होती है भद्रा

पंचांग के हिसाब से मुहूर्त का महत्त्व बहुत ज्यादा होता है। इसमें तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण जैसे महत्वपूर्ण बातें शामिल होती हैं। करण की कुल संख्या 11 होती है, जिसमें 4 अचर और 7 चर करण होते हैं। इन 7 चर करण में से एक करण ऐसा है जिसे विष्टी करण कहते हैं और इसे भद्राकाल भी कहा जाता है। भद्रा के चर करण होने की वजह से यह स्वर्ग, पाताल और पृथ्वी पर हमेशा चलती रहती है।

भद्रा का क्या होता है प्रभाव?

भद्रा का असर स्वर्ग, पाताल और पृथ्वी पर हमेशा रहता है। ज्योतिष के अनुसार, जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होता है तो भद्रा पृथ्वी पर रहती है। वहीं जब चंद्रमा मेष, वृष या मिथुन राशि में होता है तो भद्रा स्वर्ग में होती है। अगर चंद्रमा धनु, कन्या, तुला या मकर राशि में हो तो भद्रा पाताल में रहती है। जिस समय भद्रा किसी लोक में होती है वहां का माहौल थोड़ा अशुभ हो जाता है। खासकर जब भद्रा पृथ्वी पर होती है तो शुभ और मांगलिक कार्यक्रम करना अच्छा नहीं माना जाता।