देवउठनी एकादशी के साथ एक बार फिर सभी मांगलिक कार्य शुरू हो गए हैं. लेकिन फिर से सभी मांगलिक कार्यों पर रोक लगने जा रही है. 16 दिसंबर से खरमास की शुरूआत होने जा रही है. जो अगले साल 14 जनवरी तक रहेगा. इस एक महीने को ज्योतिष दृष्टि से किसी भी मांगलिक कार्य के लिए खरमास माना जाता है. यानी इस माह के अंदर यदि किसी भी प्रकार का मांगलिक कार्य किया जाता है तो उसे अशुभ माना जाता है. आइए जानते है क्या होता है खरमास?

खरमास यानी की खराब मास. अर्थात् खरमास को खराब मास कहा जाता है. इसे मलमास के नाम से भी जाना जाता है. ज्योतिषी के अनुसार, ये साल का वो अंतराल होता है, जिसमें सूर्य की गति धिमी हो जाती है. वैदिक ज्योतिष में सूर्य देवता को सभी ग्रहों में सबसे शक्तिशाली ग्रह माना गया है. इसके अनुसार, हर महीने सूर्यदेवता अपनी स्थिति बदलते हुए एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करते हैं. ऐसे में जब भी सूर्य गोचर करते हुए धनु और मीन राशि में प्रवेश करता है, तो उसी अवधी को मलमास या खरमास कहा जाता है. ज्योतिष में इस अवधि को बिल्कुल शुभ नहीं माना गया है.
इस साल सूर्यदेव अपनी राशि 16 दिसंबर को बदलने जा रहे हैं. इस दिन ये धनु राशि में प्रवेश करेंगे. . जिसे धनु संक्रांति कहा जाता है. इस दिन से सूर्यदेव पूरे एक महीने के लिए धनु राशि में ही रहेंगे. इस ही महीने को खरमास कहा जाता है. क्योंकि इस अवधि में शादी-विवाह, मुंडन, ग्रह-प्रवेश आदि जैसे मांगलिक कार्य वर्जित हो जाते है.