मंदिर में पूजा करते वक्त ध्यान रखें इन 10 जरूरी बातों को, बरसेगी ईश्वरीय कृपा

मंदिर में पूजा कैसे करें?

मंदिर में पूजा करने के तरीके – प्रत्येक मनुष्य अपने और परिवार की कल्याण के लिए अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा करता है। कई लोग घर में पूजा करते हैं तो कई लोग मंदिर में जाकर ईश्वर की आराधना करते हैं। लेकिन मंदिर में पूजा करने के कुछ नियम होते हैं जिन्हें जानना जरूरी है। नियमपूर्वक पूजा करने से ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है। 

कई बार कई लोगों की शिकायत होती है कि वह पूजा तो प्रतिदिन करते हैं लेकिन उनके ऊपर ईश्वर की कृपा नहीं बरसती है। उनके जीवन में कुछ भी अच्छा नहीं होता है। वे हमेशा परेशान रहते हैं। यदि आपके साथ भी ऐसा होता है तो कहीं न कहीं आप पूजा के वक्त कोई गलती कर रहे हैं जो आपको नहीं करना चाहिए। 

घर या मंदिर में पूजा के तरीके

ईश्वर की पूजा हमेशा ईशान कोण में या उत्तर दिशी की तरफ मुख करके करना चाहिए। पूजा करते वक्त मन में श्रद्धा और विश्वास होना बहुत जरूरी है।

हिंदू धर्म में मान्यता है कि पूजा को सफल और बाधा रहित बनाने के लिए देवी-देवता की पूजा से पहले गणपति की साधना करनी चाहिए। ऐसा करने से पूजा सफल होती है और पूर्ण फल भी प्राप्त होता है।

शास्त्रों के अनुसार, किसी भी देवी-देवता की पूजा काले कपड़े पहनकर नहीं करना चाहिए। मंदिर में पूजा के वक्त भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए।

मंदिर में पूजा करते वक्त दीपक जलाना चाहिए। दीपक कभी भी खंडित नहीं होना चाहिए। पूजा करते वक्त एक साथ दो दीपक नहीं जलाना चाहिए।

भगवान विष्णु, श्री कृष्ण, ठाकुर जी, हनुमान जी को हमेशा भोग लगाते समय तुलसी दल अवश्य चढ़ाना चाहिए। लेकिन तुलसी दल को कभी भी शाम के समय, रविवार, मंगलवार और एकादशी के दिन नहीं तोड़ना चाहिए।

मंदिर में पूजा करते वक्त कभी भी ईश्वर की उलटी परिक्रमा नहीं करनी चाहिए। भगवान शिव की परिक्रमा सिर्फ आधी की जाती है। 

हनुमान जी की पूजा के समय स्त्रियों को उनकी मूर्ति को स्पर्श नहीं करना चाहिए। हनुमान जी को सिंदूर भी स्त्रियों को किसी पुजारी के माध्यम से हनुमान जी अर्पित करना चाहिए।

मान्यता है कि रात्रि के समय ईश्वर की पूजा करते समय घंटी और शंख नहीं बजाना चाहिए। 

धार्मिक मान्यता है कि घर हो या मंदिर सायंकाल के समय पूजा करने के बाद पूजा स्थान पर पर्दा डाल देना चाहिए। उसके बाद सुबह स्नान-ध्यान के बाद ही ईश्वर की पूजा के समय ही पर्दे को हटाना चाहिए।

ईश्वर की पूजा हमेशा पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ-साथ समर्पण के साथ करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति को पूजा का संपूर्ण फल मिलता है।