करवाचौथ के दिन चंद्रमा और अपने पति को छलनी से क्यों देखती हैं महिलाएं?

करवाचौथ के दिन चंद्रमा और अपने पति को छलनी से क्यों देखती हैं महिलाएं?

भारतीय संस्कृति कई अनोखे त्योहारों का समावय है. भारत और हिंदू धर्म के हर त्योहार को मनाने के पीछे कोई खास मकसद या खास वज़ह छूपी होती है. ऐसे में करवाचौथ भारत के प्रसिद्ध त्योहारों की सूची में शामिल है. इसका महिलाओं के लिए खास महत्व है. इस दिन सभी शादीशुदा महिलाएं अपने पति के लिए सजती-सवरती है.

करवाचौथ के दिन चंद्रमा और अपने पति को छलनी से क्यों देखती हैं महिलाएं?

साथ ही अपने पति की लंबी आयु की कामना करते हुए, वे उनके लिए पूरे दिन का निर्जला उपवास रखती है. उसके बाद रात को सभी स्त्री चंद्रमा को अर्घ्य देते हुए, अपने पति को छलनी से देखकर अपने व्रत का पारण करती है. लेकिन क्या आप जानते है कि सुहागिनें अपने पति को छलनी से क्यों देखती हैं? आइए जानते है इसकी मान्यता.

इस बार 01 नवंबर को करवाचौथ मनाया जाएगा. करवाचौथ के व्रत को चंद्रमा के पूजन के साथ ही पूर्ण माना जाता है. चंद्रमा के पूजन में छलनी सबसे महत्वपूर्ण मानी गई है. छलनी के द्वारा ही स्त्री अपने पति का चेहरा और चाँद का पूजन करती है. शादीशुदा महिला छलनी में दीपक रख चांद को देखते हुए अपने पति को निहारती है.

हिंदू शास्त्रों में बताया गया है कि चंद्रमा को भगवान शिव से लंबी आयु का वरदान प्राप्त है. इस बात का उल्लेख करवाचौथ की कथा में भी किया गया है. इसलिए महिलाएं चांद को छलनी से देख ये प्रार्थना करती है कि उनके पति के अंदर भी चंद्रमा की तरह सभी गुण आए और उन्हें लंबी आयु का वरदान मिलें.