जिस प्रकार फूलों के गुलदस्ते को तरह-तरह के रंग-बिरंगे और खूशबूदार फूल सुंदर बनाते है. उसी प्रकार भारत की भी इसके तरह-तरह के त्योहार शोभा बढ़ा देते हैं. कार्तिक मास के शुरू होते ही त्योहारों की धूम मच जाती है. इन त्योहारों में दीपावली शुमार है. दीपावली के पहले दो दिन धनतेरस और छोटी दिवाली का जश्न और इसके बाद के दो दिन भाई दूज और गोवर्धन पूजा. जिससे ये पांच दिनों का त्योहार बन जाता है. त्योहारों के इसी गुलदस्तें में से आज हम बात करेंगे भाई दूज की.

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज मनाया जाता है. जिसे यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है. इस साल ये त्योहार 14 नवंबर को मनाया जाएगा. बहन-भाई के अटूट रिश्तें के प्रतीक के रूप में इसे मनाया जाता है. रक्षाबंधन की ही तरह बहनें अपने भाईयों को तिलक कर उन्हें मिठाई खिलाती हैं और भाई बदलें में बहनों को उपहार देते हैं.
पौराणिक कथा-
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, भाई दूज मनाने की रीत यमदेव और उनकी बहन यमुना से जुड़ी है. दरअसल, जब यमदेव अपनी बहन यमुना से मिलने उनके घर गए, तब यमुना ने उनका बहुत आदर-सत्कार किया. उनकी आरती उतार माथे पर तिलक किया और मिठाई खिलाई. इससे प्रसन्न होकर यमदेव ने यमुना को मिठाई खिलाई और सभी बहन-भाईयों को आशीर्वाद देते हुए ये कहा कि इस दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर जाकर उससे मिलकर तिलक कराएगा और बदले में अपनी बहन को उपहार देगा, उसका सदा कल्याण होगा. साथ ही वो सभी प्रकार की बुरी ताकतों से दूर रहेगा. बस तभी से भाई-दूज मनाने की प्रथा प्रचलन में आ गई.