विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व और पूजा विधि: हिंदू धर्म में सर्वप्रथम पूजा भगवान श्री गणेश की होती है. उन्हें लंबोदर, गजानन और ऋद्धि-सिद्धि के दाता नाम से भी जाना जाता है. गणपति की पूजा का दिन हर महीने के कृष्णपक्ष और शुक्लपक्ष दोनों में आता है यानि कि गणपति की कृपा पाने के लिए ये व्रत महीने में दो बार किए जाते हैं. हर महीने में दो चतुर्थी होने से साल में कुल 24 चतुर्थी आती है. वहीं हर 3 साल में अधिकमास आने से यह कुल 26 चतुर्थी हो जाती है.

वैशाख मास की चतुर्थी पर रखे जाने वाले व्रत को संकष्टी चतुर्थी व्रत कहते हैं. सनातन धर्म के अनुसार, जो व्यक्ति विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखता है, उसके जीवन से बड़ी से बड़ी बाधाएं दूर हो जाती हैं. आइए जानते हैं विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व और लाभ के बारे में.
विकट संकष्टी चतुर्थी का महत्व
ऐसी मान्यता है कि विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत करने से मनुष्य पर भगवान गणेश की असीम कृपा बनी रहती है. जो मनुष्य भगवान गणेश का यह व्रत सच्चे मन से रखता है, उसे और उसके परिवार को भगवान सारे संकटों से दूर रखते हैं. इसके साथ ही वैवाहिक जीवन में तनाव भी खत्म होता है.
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इसके अलावा यह व्रत करने से कमजोर बुद्धि वालों के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है. घर कारोबार में आ रही समस्याएं दूर होती हैं. इस दौरान कोई भी मांगलिक कार्य करना काफी शुभ माना जाता है. इसलिए भगवान गणेश की पूजा खासकर चतुर्थी वाली तिथि पर पड़ने वाली पूजा को जरूर करना चाहिए. ये काफी फलदायी होती है.

विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत के फायदे
- चतुर्थी के देवता शिव पुत्र “गणेश” हैं. इस तिथि में भगवान गणेश का पूजन करने से व्यक्ति के जीवन के सभी विघ्नों का नाश हो जाता है. इसलिए इन्हें विघनहर्ता भी कहा जाता है. संकष्टि चतुर्थी का मतलब ही संकट को हरने वाली चतुर्थी है.
- इस व्रत को करने से व्यक्ति को संकट से मुक्ति के साथ आर्थिक लाभ मिलता है.
- इस दिन गणपति की पूजा करने से घर से सारे नकारात्मक प्रभाव दूर हो जाते हैं. साथ ही सुख-शांति का आगमन होता है.
- ऐसा कहा जाता है कि गणेश जी घर में आ रही सारी विपदाओं को दूर भगाते हैं और व्यक्ति की सभी मनोकामनाएँ पूरी करते हैं.
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विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत की पूजा विधि
भगवान गणेश से मनचाहा आशीर्वाद पाने के लिए आपको विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत में पूजा विधिवत करनी चाहिए. इसके लिए पूजा वाले दिन सुबह जल्दी उठें, स्नान करें और साफ कपड़े धारण करें. इसके बाद एक चौकी पर लाल रंग के कपड़े को बिछाएं और भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर रखकर उनकी पूजा करें. गंगाजल से उनका अभिषेक करें. फल, फूल, चंदन, रोली, अक्षत, दीप, धूप और दुर्वा गणेश जी की प्रतिमा पर अर्पित करें. इसके बाद गणपति मंत्र का जप करें और फिर उनकी आरती करें. गणपति भगवान आपकी सभी इच्छाओं को पूरा करेंगे.