क्या है नवरात्रि के नौ दिनों चलने वाली ‘डांडियां नाइट्स’ के पीछे की मान्यता?

क्या है नवरात्रि के नौ दिनों चलने वाली ‘डांडियां नाइट्स’ के पीछे की मान्यता?

भारत में त्योहारों का उत्सव शुरू हो चुका हैं. बिना जश्न के कोई त्योहार पूरा नहीं माना जाता. नवरात्रि ऐसा त्योहार है जिसका इंतज़ार हर किसी को रहता है. माता दूर्गा के नौ अलग-अलग रूपों को नवरात्रि के नौ दिनों बड़े हर्षोउल्लास और धूमधाम से पूजा जाता है. इन नौ दिनों में जगह-जगह माता के भव्य पंडाल देखने को मिलते हैं. नवरात्रि की धूम महिनों पहले से ही देखने को मिलती है. हफ्तों पहले से ही घरों में नवरात्रि की तैयारियां शुरू हो जाती है.

इस साल नवरात्रि की शुरूआत 15 अक्टूबर से होने जा रही है. हर राज्यों में नवरात्रि मनाने का अलग ढ़ंग है. उन ही में से गुजरात की डांडिया नाइट्स दुनियाभर में मशहूर है. डांडिया नाइट्स का आयोजन हर जगह बड़ी धूमधाम के साथ किया जाता है. ये नवरात्रि खत्म होने तक यानी 9 दिनों तक चलता है. लेकिन क्या आपने गरबा नाइट्स के पीछे के इतिहास के बारे में सुना है? या कभी आपके दिमाग में ये सवाल आया है कि नवरात्रि पर गरबा नाइट्स का आयोजन क्यों किया जाता है?

नवरात्रि में गरबा खेलने की परंपरा सदियों पुरानी है. पहले इसे गुजरात में विशेषरूप से मनाया जाता था. लेकिन धीरे-धीरे इसकी लोकप्रियता इतनी बढ़ी की अब इसे देश-दुनिया के हर कोने में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. दरअसल, नवरात्रि के नौ दिन मातारानी के भक्त अपने नृत्य से उन्हें प्रसन्न करने में जुटे रहते हैं. नवरात्रि के पहले दिन मिट्टी के घड़े में छेद करके इसके अंदर एक दीपक जलाकर साथ में चाँदी का सिक्का रखा जाता है. उस दीपक को दीप गर्भ कहा जाता है. ये दीप गर्भ नारी की सृजन शक्ति नारी शक्ति का प्रतीक माना गया है.

गरबे के दौरान महिलाएं और पुरूष साथ में नृत्य करते हैं. इसमें डांडियों और मंजीरों का इस्तेमाल किया जाता है. महिलाएं-पुरूष दो या चार लोगों का छोटा सा समूह बनाकर ताल से ताल मिलाते हैं. गुजरात में ये मान्यता है कि गरबा नृत्य मातारानी को अति प्रिय है.