चैत्र नवरात्रि हिन्दू धर्म में एक पवित्र और शुभ पर्व है जिसमें माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। यह पर्व हिंदू नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक भी होता है और पूरे नौ दिनों तक श्रद्धालु उपवास, भजन और हवन के माध्यम से देवी की आराधना करते हैं। यदि आप चैत्र नवरात्रि में माँ दुर्गा की पूजा करना चाहते हैं तो सही पूजा विधि को जानना जरूरी है। आइए जानते हैं कि चैत्र नवरात्रि में माँ दुर्गा की पूजा कैसे कर सकते हैं।
चैत्र नवरात्रि पूजा की तैयारी
- घर की सफाई: पूजा शुरू करने से पहले घर और पूजा स्थल को अच्छी तरह साफ करें।
- कलश स्थापना: एक तांबे मिट्टी या पीतल के कलश में गंगाजल भरें। उसमें आम के पत्ते और नारियल रखें और इसे पूजा स्थल पर स्थापित करें।
- माँ दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर: देवी दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर को एक स्वच्छ स्थान पर रखें और उसे फूलों से सजाएं।
पूजा विधि
पहला दिन (प्रतिपदा) – घटस्थापना
- सुबह स्नान करके लाल वस्त्र पहनें।
- माँ दुर्गा की प्रतिमा को फूलों और वस्त्रों से सजाएं।
- घटस्थापना करें और उसमें जौ (जवारे) बोएं।
दूसरे से आठवें दिन तक (दैनिक पूजा)
- प्रतिदिन माँ दुर्गा को लाल फूल, चंदन, अक्षत (चावल), धूप, दीप, और नैवेद्य अर्पित करें।
- दुर्गा सप्तशती या देवी महात्म्य का पाठ करें।
- माता के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करें:
- द्वितीया: ब्रह्मचारिणी माता
- तृतीया: चंद्रघंटा माता
- चतुर्थी: कूष्मांडा माता
- पंचमी: स्कंदमाता
- षष्ठी: कात्यायनी माता
- सप्तमी: कालरात्रि माता
- अष्टमी: महागौरी माता
नवमी (कन्या पूजन)
- इस दिन नौ कन्याओं और एक बालक को भोज कराकर देवी स्वरूप मानकर चरण पूजन करें।
- उन्हें हलवा-पूरी और चने का प्रसाद दें और दक्षिणा देकर आशीर्वाद प्राप्त करें।
दशमी (व्रत समाप्ति)
- कलश विसर्जन करें और माता रानी से आशीर्वाद मांगें।
- हवन या यज्ञ करके नवरात्रि का समापन करें।
विशेष ध्यान देने योग्य बातें
✅ शुद्ध आहार ग्रहण करें और व्रत के दौरान फलाहार करें।
✅ माँ दुर्गा की पूजा में लाल रंग का उपयोग करें, क्योंकि यह शक्ति का प्रतीक है।
✅ पूजा के दौरान मन को शांत रखें और श्रद्धा भाव से माता की आराधना करें।