समुद्र मंथन से जुड़ा है धनतेरस मनाए जाने का इतिहास

समुद्र मंथन से जुड़ा है धनतेरस मनाए जाने का इतिहास

भारत विविधतापूर्ण देश है. धर्म, भाषा, संस्कृति के साथ-साथ यहां पर सबके त्योहार मनाने में भी विविधताएं है. भारत के मुख्य त्योहारों की सूची में दीपावली अव्वल दर्जें पर शुमार है. दीपावली से ठीक दो दिन पहले धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, धनतेरस का त्योहार कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. इस त्योहार को धन, सुख-समृद्धि से जोड़ा जाता है. इस दिन नए चीजें और बर्तन खरीदने की प्रथा है. आइए जानते है इस त्योहार की पौराणिक कथा.

धनतेरस, हिंदू धर्म के महत्तवपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है. इस दिन मृत्यु के देव यमदेव और धन के देव धनवंतरि की पूजा का महत्व है. भारतीय संस्कृति में एक कहावत काफी प्रचलित है ‘पहले सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में माया’. अर्थात् हमारी इस खूबसूरत संस्कृति में धन-ऐश्वर्य से भी ऊपर स्थान स्वास्थ्य को दिया गया है. इसलिए दीपावली में सर्वप्रथम धनतेरस का महत्व है.

समुद्र मंथन से जुड़ा है धनतेरस मनाए जाने का इतिहास

शास्त्रों में कथित है कि देवताओं और असुर के बीच समुद्र मंथन के समय कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन श्रीहरि विष्णु का अंशावतार बन भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लिए सबके सामने प्रकट हुए. इसलिए इसे धनतेरस का नाम दिया गया. चिकित्सा विज्ञान के विकास के लिए ही भगवान विष्णु ने ये अवतार लिया.