करवाचौथ पर चाँदी और चाँद का होता है विशेष महत्व!

करवाचौथ पर चाँदी और चाँद का होता है विशेष महत्व!

भारत में त्योहारों का शंखनाद बज चुका है. चारों ओर त्योहारों की धूम है. महिलाओं का सबसे प्रिय त्योहार करवाचौथ है. ये हिंदुओं का पारंपरिक त्योहार है. करवाचौथ के दिन घर सुहागिन महिला अपने पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्रत रखती है. इस व्रत के दौरान वे पूरा दिन बिना खाना खाए और पानी पिए रहती है. इस दिन रात को चांद को अर्घ्य देते हुए उनकी पूजा करने की मान्यता है. चांद को अर्घ्य देते हुए ही महिलाएं अपना वर्त खोलती है. क्या आप जानते है कि इस दिन चांद का इतना महत्व क्यों माना गया है ? आइए बताते है.

करवाचौथ पर चाँदी और चाँद का होता है विशेष महत्व!

चांद को करवाचौथ का महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया है. करवाचौथ की रात को चांद निकलने महिला उसे सीधा नहीं देखती. अपितु छलनी के माध्यम से चंद्रमा देखकर उसे अर्घ्य दिया जाता है.

महिला चांद को छलनी से देखने के बाद अपने पति का चेहरा भी छलनी के माध्यम से देखती है. जिसके बाद पति अपने हाथों से अपनी पत्नि को पानी पिलाकर उसका व्रत खोलते है. आपको बता दे कि चाँद पति की दीर्घायु का प्रतीक है. साथ ही चाँद दोनों के अटूट प्रेम का साक्षी भी है. इसलिए चंद्रमा का इस त्योहार में खास महत्व है.

इसके अलावा करवाचौथ पर चाँदी की पूजा का भी विशेष महत्व है. क्योंकि चाँदी शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक है. इसमें पति भी अपनी पत्नियों को चाँदी का उपहार देते है. माना जाता है कि चाँदी की पूजा से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. इसके अलावा वैवाहिक जीवन भी सुख-शांति से परिपूर्ण रहता है.