रामनवमी सबसे महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों में से एक हैं जो भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाता है। रामनवमी चैत्र महीने में शुक्ल पक्ष के नौवें दिन पड़ती है। यह शुभ अवसर हर साल चैत्र नवरात्रि उत्सव के अंतिम दिन होता है। चैत्र नवरात्रि के 9वें दिन मां दुर्गा और उनके अवतार मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।
रामनवमी कब है
इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल, मंगलवार को शुरू हुई और 17 अप्रैल को रामनवमी के त्यौहार के साथ समाप्त होगी।
रामनवमी 2024: महत्व और परंपराएं
रामनवमी का आध्यात्मिक महत्व भगवान राम के जन्म के स्मरण में निहित है, जिन्हें धर्म या धार्मिकता का प्रतीक और सत्य, अच्छे आचरण और गुणों का प्रतीक माना जाता है।
यह त्योहार भक्तों के लिए उनकी जयंती को याद करने और उपवास, मंदिरों में जाकर, विशेष प्रार्थना और पूजा करने और भगवान राम के जीवन की कहानी बताने वाले महाकाव्य रामायण को पढ़ने के माध्यम से उनकी पूजा करने का एक प्रमुख अवसर है।
हवन का होता है विधान
भारत में रामनवमी बहुत ही रुचि और श्रद्धा के साथ मनाई जाती है। लोग अपने घरों को साफ करते हैं, सजाते हैं और अपने दरवाजे पर रंगोली बनाते हैं तथा भगवान राम की छोटी मूर्ति रखने के लिए वेदी को सजाते हैं। वे मंदिरों में भी जाते हैं और भगवान राम की पूजा करते हैं, जिन्हें विभिन्न अनुष्ठानों के साथ मनाया जाता है, जिसमें उपवास, रामायण का पाठ करना और सुनना, हवन करना इत्यादि शामिल है।
भगवान राम को भोग
हिंदू धर्म में माना जाता हैं कि भगवान राम को पंचामृत का भोग न लगाने से पूजा अधूरी रहती है। ऐसे में भक्त को रामनवमी की पूजा के दौरान प्रभु को पंचामृत का भोग लगाना चाहिए।
इसके अलावा भोग में खीर को भी शामिल कर सकते हैं। मान्यता है कि जब राजा दशरथ के घर भगवान राम समेत चारों भाइयों का जन्म हुआ था तो उस समय खीर बनाई गई थी। इसी परंपरा के अनुसार राम नवमी में खीर का भोग लगाया जाता है।
घर में होता है सुख समृद्धि का वास
अगर श्रद्धालु परिवार में खुशहाली चाहते हैं, तो इसके लिए रामनवमी पर मीठे बेर और कंदमूल का भोग लगाना चाहिए।पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान राम ने वनवास के दौरान कंदमूल का सेवन किया था। मान्यता है कि प्रभु को कंदमूल और बेर का भोग लगाने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
भगवान श्रीराम के भोग के लिए आप घर पर केसर भी बना सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि प्रभु को केसर भात का भोग लगाने दरिद्रता से छुटकारा मिलता है। रामनवमी भारत, नेपाल और बांग्लादेश में हिंदुओं और उत्तरी अमेरिका और यूरोप में कुछ हिंदुओं द्वारा व्यापक रूप से मनाया जाता है।