देशभर में महादेव के असीम भक्त हैं. जो उनमें काफी श्रद्धा-भाव रखते हैं. वैसे तो सोमवार का दिन महादेव की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होता है. लेकिन हर महीने शिवरात्रि भी आती है. जिस दौरान महादेव के भक्त उनके लिए उपवास भी रखते हैं. यानी साल में कुल 12 शिवरात्रि होती हैं. परंतु शिवरात्रि से भी ज्यादा विशेष और दौगुना फलदायक साल में दो बार आने वाली महाशिवरात्रि को माना जाता है. महाशिवरात्रि के अवसर पर मां पार्वती और भगवान शिव की आराधना की जाती है और उपवास रखा जाता है. साथ ही, शिव-पार्वती विवाह किया जाता है. इस अवसर पर 12 ज्योतिर्लिंग में से एक ज्योतिर्लिंग ऐसा है. जहां महाशिवरात्रि के आने से पहले ही शिव नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. आइए संक्षेप में जानते है.

साल की पहली महाशिवरात्रि फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आती है. जो इस साल 08 मार्च को है. इस दिन शिवभक्त उपवास रखते हैं. इस दिन शिवजी और माता पार्वती का विवाह किया जाता है. लेकिन उज्जैन में महाशिवरात्रि का जश्न 9 दिन पहले से ही शुरु हो जाता है. 12 ज्योतिर्लिंगों में से उज्जैन का इकलौता ज्योतिर्लिंग है, जहां महाशिवरात्रि तक के 9 दिन बेहद खास होते हैं. उज्जैन के श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में शिव नवरात्रि का पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है. उसके बाद भगवान विरभद्र की पूजन होती है.
संध्या काल में भोलेनाथ का काल शृंगार किया जाता है. पूरे गर्भगृह में फूलों की सजावट की जाती है. भगवान को यहां प्रथम दिन चंदन के श्रृंगार के साथ पीतांबर धारण किया जाता हैं. इस प्रकार सब धारण करवा कर भगवान कर, उन्हें एक नया स्वरूप दिया जाता है.