शारदीय नवरात्रि 2025 का छठा दिन मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है। देवी कात्यायनी मां दुर्गा का छठा स्वरूप हैं। पुराणों में उन्हें महाशक्ति और दानवों का नाश करने वाली देवी कहा गया है। मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा से उनकी पूजा करने पर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
कात्यायनी माता की आराधना से विवाह योग मजबूत होता है और घर-परिवार में खुशहाली आती है। इस दिन विधि-विधान से मां की पूजा के साथ उनकी आरती गाने और मंत्र जपने का विशेष महत्व है।
मां कात्यायनी की आरती
जय जय अम्बे जय कात्यायनी
जय जगमाता जग की महारानी
बैजनाथ स्थान तुम्हारा
वहां वरदाती नाम पुकारा
कई नाम हैं कई धाम हैं
यह स्थान भी तो सुखधाम है
हर मंदिर में जोत तुम्हारी
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी
हर जगह उत्सव होते रहते
हर मंदिर में भक्त हैं कहते
कात्यायनी रक्षक काया की
ग्रंथि काटे मोह माया की
झूठे मोह से छुड़ाने वाली
जय जय अम्बे जय कात्यायनी
जय जगमाता जग की महारानी
अपना नाम जपाने वाली
बृहस्पतिवार को पूजा करियो
ध्यान कात्यायनी का धरियो
हर संकट को दूर करेगी
भंडारे भरपूर करेगी
जो भी मां को भक्त पुकारे
कात्यायनी सब कष्ट निवारे
जय जय अम्बे जय कात्यायनी
जय जगमाता जग की महारानी
मां कात्यायनी के शक्तिशाली मंत्र
- ॐ ह्रीं नमः।।
- चन्द्रहासोज्जवलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।। - ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥
विशेष रूप से विवाह योग्य कन्याओं के लिए यह मंत्र अत्यंत फलदायी माना गया है –
कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्दगोपसुतं देवी पति मे कुरु ते नमः॥
नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन भक्त श्रद्धा और भक्ति से आरती गाते हैं और मंत्रों का जाप करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से मां कात्यायनी प्रसन्न होती हैं और जीवन की सभी बाधाओं को दूर कर देती हैं।