Navratri 9th Day: जिनका नाम लेते ही मिलती है सिद्धि, जिनके नाम से मन की होती है शुद्धि, वो है माता सिद्धिदात्री. हिंदू धर्म में नवरात्रि की काफी मान्यता है. नवरात्रि के नौ दिनों में आदिशक्ति के नौ अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. ऐसे में नवरात्रि का नौवा यानी आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री को समर्पित है. ये मां दुर्गा की नौवी स्वरूप है. इस साल नवरात्रि की नवमी 23 अक्टूबर को मनाई जाएगी. साथ ही इस दिन मां दूर्गा के भक्त उनकी छवि समझते हुए सभी कन्याओँ को भोग लगाते हैं.

कहा जाता है कि इन माता की सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए स्वयं भोलेनाथ ने इनकी उपासना की थी. जिससे प्रसन्न हो मां सिद्धिदात्री ने अपनी कृपा से शिव-शंकर को अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा,प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व जैसी 8 सिद्धियां प्रदान की. इससे भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हो गया था. इस कारण से ये भोलेनाथ का नाम अर्धनारीश्वर भी पड़ा.
माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप अत्यंत मनमोहक है. लाल साड़ी पहन ये माता कमल पर विराजित है. इनकी चार भुजाएं है. इनके चारों हाथों में क्रमश: सुदर्शन चक्र, शंख, गदा और कमल सुशोभित है. साथ ही, होठों पर मंद सी मुस्कान लिए, सिर पर ऊंचा-सा मुकूट पहने ये माता अत्यंत आकर्षक है.

इसी तरह इस दिन माता का जो भी भक्त उनकी सच्चे मन से पूजा-अर्चना करता है. उससे प्रसन्न होकर मां उसे सभी सिद्धियां प्राप्त होने का आशीर्वाद देती हैं. नवरात्रि के आखिरी दिन माता की पूजा के साथ कंजकों को भी देवी समान पूजा जाता है. पुराणों में कहा गया है कि माँ दुर्गा का ये स्वरूप अत्यंत शक्तिशाली है. प्राचीन समय में असुरों के बढ़ते संहार के लिए सभी देवताओं ने इन माता को अपने तेज से उत्पन्न किया था. इसी शक्ति को माँ सिद्धिदात्री कहा जाने लगा.