भाद्रपद महीने की शुरूआत से ही व्रत और त्योहारों की कतारें लग जाती हैं. कृष्ण जन्माष्टमी को लोग काफी धूमधाम के साथ मनाते है. श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी के बाद राधा रानी का जन्म उत्सव मनाया जाता है. बिना राधा रानी के नाम के तो हम भगवान कृष्ण को हासिल भी नहीं कर सकते. कृष्ण के तो कण-कण में राधा रानी रहती है. महज राधा नाम लेने से हम भगवान कृष्ण को पा सकते है. इसलिए राधाष्टमी का भी उतना ही महत्व है. जितना कृष्ण जन्माष्टमी का.

बरसाने की दुलारी राधा रानी का जन्मोत्सव कृष्ण जन्मोत्सव के ठीक 15 दिन बाद मनाया जाता है. माना गया है कि इस दिन सच्चे मन से व्रत करके हम राधा रानी की कृपा को पा सकते है. इसके साथ ये भी कहा जाता है कि राधाष्टमी के व्रत के बिना जन्माष्टमी पर रखा गया व्रत भी संपूर्ण नहीं माना जाता.
शुभ मुहुर्त-
इस साल यानी 2023 में राधाष्टमी का व्रत 23 सितम्बर को रखा जाएगा. राधाष्टमी का दिन भगवान कृष्ण और राधा रानी के भक्तों के लिए काफी खास होता है. इस बार राधा रानी के पूजन का शुभ मुहुर्त सुबह 11 बजकर 01 मिनट से शुरू होकर दोपहर 01 बजकर 26 मिनट तक का है. इस काल के दौरान राधा रानी का पूजन करना शुभ माना गया है.

शुभ रंग-
राधा रानी को पीला रंग काफी पसंद है. इसलिए इस दिन पीले रंग के वस्त्र को धारण करना शुभ माना गया है. श्री राधे को भी पीले रंग के फल-फूल चढ़ाना शुभ माना गया है.