शिव-गौरी की पूजन का सबसे अच्छा पर्व कजरी तीज, जानें इसका महत्व

शिव-गौरी की पूजन का सबसे अच्छा पर्व कजरी तीज, जानें इसका महत्व

सनातन धर्म में कजरी तीज का भी अलग और खास महत्व है. हर व्रत और उपवास की तरह ये व्रत भी महिलाओं के लिए खास है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है.

भगवान शिव माता गौरी को समर्पित कजरी तीज का व्रत, महिलाओं के लिए काफी खास और फलदायी होता है. हिंदु पंचांग के मुताबिक, ये व्रत भाद्रपद मास के तृतीया तिथि को रखा जाता है. इस पर्व को कजरी तीज के साथ-साथ बूढ़ी तीज, सातूड़ी तीज या कजली तीज के नाम से भी जाना जाता है. सुहागिनों के लिए कजरी तीज का महत्व हरियाली तीज और हरतालिका तीज के बराबर है.

शिव-गौरी की पूजन का सबसे अच्छा पर्व कजरी तीज, जानें इसका महत्व

सदियों से चलती आ रही मान्यता के हिसाब से इस दिन सभी सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और अच्छी  सेहत की कामना करते हुए कजरी तीज का ये व्रत रखती है. इस व्रत को करने से महिलाओं को संतान सुख भी मिलता है. साथ ही, घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है.

चंद्रदेव की पूजा का है खास महत्व

इस खास दिन पर चंद्रदेव की पूजा-अर्चना का विधान है. साथ ही, सभी सुहागिन महिलाएं नीमड़ी और गौ माता की पूजा करती है. फिर शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपना व्रत पूरे विधि-विधान से संपन्न करती है.

शिव-गौरी की पूजन का सबसे अच्छा पर्व कजरी तीज, जानें इसका महत्व

पूजा विधि-

शिव-गौरी की पूजन का सबसे अच्छा पर्व कजरी तीज, जानें इसका महत्व

सुहागिन महिलाएं इस दिन अपने हाथों से मिट्टी से शिव-गौरी की मूर्ति बनाती है. या बाजार से मिट्टी के शिव-गौरी की मूर्तियां लाकर उनकी विधि-विधान से पूजा करती है. माता गौरी को सुहाग की 16 सामग्री यानी 16 श्रृंगार अर्पित किए जाते है. वहीं, भोलेनाथ को उनकी प्रिय सामग्री जैसे की बेल पत्र, गंगा जल, धतूरा, भांग चढ़ाए जाते है. फिर शिव-गौरी का आरती की जाती है और साथ में उनकी कथा सुनी जाती है. क्योंकि नंदी के रूप में गाय को शिव जी का वाहन माना जाता है. इसलिए इस दिन गौ माता की पूजा की जाती है. इसके बाद गौ माता को गुड़-चने खिलाकर व्रत का पारण किया जाता है.