पूजनीय भगवान गणेश का जन्मोत्सव हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को बड़े उत्साह व श्रद्धा से मनाया जाता है। इसे विनायक चतुर्थी, कलंक चतुर्थी और शिव चतुर्थी जैसे नामों से भी जाना जाता है। इस साल यह पावन पर्व 27 अगस्त, बुधवार से प्रारंभ हो रहा है और अनंत चतुर्दशी (गणेश विसर्जन) 6 सितम्बर, शनिवार को संपन्न होगा।
चाँद देखने से क्यों लगता है कलंक
परंपरागत मान्यता है कि गणेश चतुर्थी की रात चंद्रमा को देखना अशुभ होता है। माना जाता है कि भाद्र मास की चतुर्थी तिथि पर चाँद देखने से व्यक्ति कलंकित हो सकता है और उस पर झूठा आरोप भी लग सकता है। पुराणों के अनुसार, इसी रात भगवान श्रीकृष्ण ने चाँद देखने के कारण झूठे आरोपों का सामना किया, लेकिन संकट से उबरने के लिए उन्होंने श्री गणेश की विधिपूर्वक पूजा की, जिससे उन्हें मुक्ति मिली। इसीलिए आज तक इस रीति का पालन किया जाता है।

गणेश और चंद्रमा की कथा
एक अन्य कथा के अनुसार जब भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र गणेश जी को गजमुख मिला, तब उन्होंने पूरी पृथ्वी की परिक्रमा की। इस दौरान देवताओं ने उनकी प्रशंसा की, लेकिन चंद्र देव अपने सौंदर्य और अभिमान के कारण उनका मजाक उड़ाने लगे।
गणेश जी ने यह देखकर चंद्रदेव को श्राप दिया कि उनका तेज़ कम हो जाएगा और उनका स्वरूप कलुषित दिखेगा। तभी से चंद्रमा पर काले धब्बे स्पष्ट दिखाई देने लगे। इसीलिए मान्यता है कि गणेश चतुर्थी की रात चंद्रमा का दर्शन नहीं करना चाहिए।
धार्मिक विश्वास है कि यदि भूलवश गणेश चतुर्थी की रात चाँद देख लिया जाए, तो गणेश चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करना चाहिए और श्री गणेश से क्षमा प्रार्थना करनी चाहिए। ऐसा करने से दोष समाप्त हो जाता है और व्यक्ति पर लगे झूठे आरोप भी दूर हो जाते हैं।
अगर गलती से चाँद दिख जाए तो क्या करें
मान्यता है कि यदि किसी से भूल से इस रात चाँद दिख जाए तो चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। इसके लिए कुछ उपाय बताए गए हैं
- तुरंत गणेश जी के मंत्र “ॐ गं गणपतये नमः” का जप करें।
- गणेश चतुर्थी व्रत कथा या संकट चतुर्थी कथा का श्रद्धा से पाठ करें।
- गणपति को मोडक या दूर्वा घास अर्पित करें और उनसे क्षमा माँगें।
- यदि संभव हो तो अगले दिन किसी मंदिर में जाकर गणेश जी का दर्शन करें और प्रसाद चढ़ाएँ।
इन उपायों को करने से माना जाता है कि चंद्र दर्शन का दोष समाप्त हो जाता है और जीवन में किसी भी प्रकार की कलंक या बदनामी नहीं आती।