Baisakhi: क्यों मनाया जाता है बैसाखी का पर्व, जानें इससे जुड़ी कुछ खास बातें

बैसाखी का पर्व

बैसाखी का अर्थ वैशाख माह का त्यौहार है। यह वैशाख सौर मास का प्रथम दिन होता है। बैसाखी वैशाखी का ही अपभ्रंश है। इस दिन गंगा नदी में स्नान का बहुत महत्व है। हरिद्वार और ऋषिकेश में बैसाखी पर्व पर भारी मेला लगता है। बैसाखी के दिन सूर्य मेष राशि में संक्रमण करता है। इस कारण इस दिन को मेष संक्रान्ति भी कहते है।

मेष संक्रांति भी कहते हैं लोग

हिंदू धर्म में जिस तरह होली व दीपावली का पर्व मनाया जाता है, उसी तरह सिख लोगों के लिए बैसाखी का त्योहार खास होता है। देश के अलग-अलग जगहों पर इस पर्व को अलग-अलग नामों से मनाया जाता है, जैसे बंगाल में नबा वर्ष, केरल में पूरम विशु, असम में बिहू के नाम से लोग इस पर्व को मनाते हैं। बैसाखी को सिख समुदाय के लोग नए साल के रूप में मनाते हैं। बैसाखी मुख्य रूप से कृषि का पर्व मनाया जाता है। किसान अपनी पकी हुई रबी की फसल को देखकर खुश होते हैं और बड़े हर्ष और उल्लास के साथ इस दिन को बड़े त्योहार के रूप में मनाते हैं।

जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करते हैं उसी दिन बैसाखी मनाई जाती है। हर साल 13 या 14 को बैसाखी का पर्व मनाया जाता है। लेकिन इस बार सूर्य 13 अप्रैल को मेष राशि में प्रवेश कर रहे हैं इसलिए आज बैसाखी मनाई जा रही है।

गाई जाती है पंचबानी

बैसाखी के दिन प्रातः काल 4:00 बजे गुरु ग्रंथ साहिब को समारोह कक्ष से बाहर की ओर लाया जाता है। उनको दूध में जल से स्नान करवाने के बाद उन्हें उनके तखत पर बिठा दिया जाता है।इसके बाद वे अपनी पंचबानी गाते हैं। उनकी अरदास के बाद गुरु को प्रसाद का भोग लगाया जाता है। भोग लगाने के पश्चात लंगर शुरू किया जाता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं।

आनंदपुर साहिब में किया विशेष समागम

गुरु गोविंद सिंह जी वैशाखी दिवस को विशेष गौरव देना चाहते थे। इसलिए उन्होंने ने 1699 ई. को वैशाखी पर श्री आनंदपुर साहिब में विशेष समागम किया। इसमें देश भर की संगत ने आकर इस ऐतिहासिक अवसर पर अपना सहयोग दिया। गुरु गोविंद सिंह जी ने इस मौके पर संगत को ललकार कर कहा- ‘देश को गुलामी से आजाद करने के लिए मुझे एक शीश चाहिए।

बैसाखी के इस मौके पर, लोग खेतों में उतरकर बिना उत्साह के नहीं रह पाते। वे गाने, नाचने, और मिलने-मिलाप का उत्सव मनाते हैं। इस दिन को अनेकता में एकता का प्रतीक माना जाता है, जहां सभी लोग एक साथ मिलकर खुशियों का त्योहार मनाते हैं।

नई शुरुआत का प्रतीक

बैसाखी एक नई शुरुआत का प्रतीक है, जो व्यक्तियों को अपनी यात्रा पर विचार करने, नकारात्मकता को त्यागने और सकारात्मकता को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है । सिखों के लिए, यह सिख धर्म के सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने और अपने पूर्वजों द्वारा किए गए बलिदान का सम्मान करने का समय है।

वैशाखी विश्व भर में पंजाबियों का एक कौमी जश्न माना जाता है। पंजाबी लोगों का यह सबसे बड़ा मेला है। इस दिन लोग रंगबिरंगे कपड़े पहनकर खुशियां मनाते हैं। वैशाखी के नाम से दिलों में उत्साह का संचार होता है।