30 सालों से लक्ष्मी-नारायण के इस मंदिर में अखंड ज्योत है प्रज्वलित!

30 सालों से लक्ष्मी-नारायण के इस मंदिर में अखंड ज्योत है प्रज्वलित!

भारत अनगिनत त्योहारों और तरह-तरह के पर्वों का मेल है. भारत की ये विविधता पूरी दुनिया से अलग है. जिस वजह से त्योहारों को भारत की सांस्कृतिक धरोहर माना जाता है. यहां सभी देवी-देवताओं के लाखों मंदिर है. सभी त्योहारों के अवसर पर भारत के हर छोटे से बड़े मंदिर को सजाया जाता है. खासतौर से दीप के त्योहार दिवाली को. हिंदू धर्म में दिवाली एक खास और महत्वपूर्ण त्योहार है. इस त्योहार के खास मौके पर पूरा भारत जगमग हो उठता है. माना जाता है कि इस दिन धन की देवी माँ लक्ष्मी का घर में आगमन होता है. ऐसे में एमपी में लक्ष्मी-नारायण का एक ऐसा मंदिर है, जहां दीप प्रज्वलित करने से मनुष्य का भाग्य सुधरता है. इसके साथ उसे धन लाभ भी होता है. आइए जानते है इस मंदिर का इतिहास.

30 सालों से लक्ष्मी-नारायण के इस मंदिर में अखंड ज्योत है प्रज्वलित!

लक्ष्मी-नारायण का ये प्राचीन चमत्कारी मंदिर एमपी के चंबल में स्थित है. 18 वीं सदी में इस मंदिर का निर्माण मराठी शैली को ध्यान में रखते हुए करवाया गया था. शुरूआत से ही इस मंदिर की देखरेख का ज़िम्मा एक मराठी परिवार ने ही ले रखा है. बरसों से इस मंदिर को लेकर ये मान्यता चली आ रही है कि इस मंदिर में धनतेरस से दीवाली 3 दिन तक दीपक जलाने से घर में कभी भी आर्थिक तंगियों का सामना नहीं करना पड़ेगा.

बता दे कि लक्ष्मी-नारायण का ये मंदिर एमपी के भिंड शहर के वनखंडेश्वर स्कूल के पास स्थित है. इस मंदिर का गुबंद मराठी शैली पर आधारित है, जो इसके अनोखे इतिहास को चिंहित करती है. इस मंदिर में लक्ष्मी-नारायण की प्रतिमा के आगे माता तुलसी का भी स्थान बना हुआ है. प्रचलित कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि भले ही माता लक्ष्मी और श्रीहरि की प्रतिमा की स्थापना मराठा साम्राज्य के समय की हो, लेकिन समय के साथ इस मंदिर का अस्तित्व खोता चला गया.

कहा जाता है कि धनतेरस और दिपावली के शुभ अवसर पर इस मंदिर में लक्ष्मी-नारायण के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ जाती है. मंदिर परिसर में दिवाली की तैयारियां बड़ी धूमधाम से महिनों पहले शुरू हो जाती है. धनतेरस, छोटी दिवाली और दिपावली पर इस मंदिर को दियों की रोशनी से जगमग किया जाता है.

30 सालों से जल रही है अखंड ज्योत

इस मंदिर को लेकर एक ये कहानी भी है कि इस मंदिर में पिछले 30 सालों से लगातार अखंड ज्योत लग रही है. मंदिर के पुजारी का कहना है कि सन् 1995 तक इस मंदिर की देखरेख पुजारी करते थे. लेकिन उनके बाद तब से आज तक इस मंदिर में अखंड ज्योत प्रज्वलित की गई. जो आजतक जगमगाती है.