सनातन धर्म के लिए क्यों महत्वपूर्ण होता है कार्तिक माह, पूजा-पाठ का मिलता है दौगुना फल!

सनातन धर्म के लिए क्यों महत्वपूर्ण होता है कार्तिक माह, पूजा-पाठ का मिलता है दौगुना फल!

सनातन धर्म में कार्तिक मास का काफी अधिक महत्व है. इस महीने को सबसे पवित्र माना जाता है. हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, साल का ये आठवां महीना होता है. जिसका समापन देव दिपावली के साथ होता है. कार्तिक माह को पूजा-पाठ और भगवान विष्णु की आराधना के लिए सबसे सर्वश्रेष्ठ माह माना जाता है. साथ ही इन दिनों कार्तिक नहान और गंगा स्नान का भी काफी अधिक महत्व है. माना जाता है कि जो भी पूरे श्रद्धाभाव से इस पूरे महीने में पूजा-पाठ करता है, उसे अन्य पूजा-पाठों के मुकाबले दोगुना फल मिलता है. आइए जानते है इस महीने का महत्व .

कार्तिक का पावन महीना पूर्ण रूप से भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है. ये वही महीना है जिसमें श्रीहरि विष्णु अपने चार माह की योग निद्रा के बाद उठते है, इसके बाद भगवान विष्णु के शालीग्राम रूप के साथ माता तुलसी का भव्य तरीके से विवाह रचाया जाता है, इसी महीने में हरि से हर का भी मिलन होता है. यानि भोलेनाथ ब्रह्मांड की बागडोर वापिस से विष्णु जी को सौंपने वैकुंठ धाम जाते है. जिसे वैकुंठ एकादशी के नाम से जाना जाता है, इस ही महीने में एक नहीं बल्कि तीन दीपावली मनाई जाती है. पहले छोटी और बड़ी दिवाली और फिर कार्तिक माह के आखिरी दिन देव दीपावली के साथ कार्तिक के महीने का समापन होता है.

देव दीपावली के अवसर पर पृथ्वी लोक के साथ देव लोक में भी देवता बड़ी खुशी से मनाते है. इस महीने में ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करने की मान्यता है. इस मुहूर्त में उठकर स्नान करना काफी अच्छा माना गया है. ऐसे में अगर स्नान गंगा जल या गंगा नदी में हो, तो काफी शुभ होता है.