हिंदू धर्म में दीपावली का काफी महत्व है. इसे रोशनी का त्योहार भी कहा जाता है. दीपावली से ठीक एक दिन छोटी दिवाली मनाई जाती है. जिसे नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. छोटी दिवाली कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मनाई जाती है. क्या आप जानते है कि क्यों इसे नरक चतुर्दशी से जाना जाता है. आइए जानते है.हिंदू धर्म में दीपावली का काफी महत्व है. इसे रोशनी का त्योहार भी कहा जाता है. दीपावली से ठीक एक दिन छोटी दिवाली मनाई जाती है. जिसे नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. छोटी दिवाली कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मनाई जाती है. क्या आप जानते है कि क्यों इसे नरक चतुर्दशी से जाना जाता है. आइए जानते है.

इस साल दीपावली 12 नवंबर को मनाई जाएगी. ये पाँच दिनों का पर्व होता है. भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण के 14 साल का वनवास कांटकर अयोध्या वापिस लौटने पर उनका स्वागत अयोध्यावासियों ने घी के दीप जलाकर किया था. तभी दीपावली को मनाने की ये प्रथा चलती आ रही है. दीपावली से ठीक एक दिन पहले छोटी दिवाली आती है. यानी इस साल छोटी दिवाली 11 नवंबर को मनाई जाएगी.
ये तो सब जानते है कि दीपावली भगवान राम के अयोध्या वापिस लौटने की खुशी में मनाई जाने लगी. लेकिन छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी के नाम से मनाए जाने के पीछे भी एक कारण है. पौराणिक कथाओं में कहा जाता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नाम के राक्षस का संहार कर, इसके कैद से 16000 स्त्रियों को मुक्त कराया था.

धार्मिक मान्यताओं की मानी जाए, तो कहा जाता है कि नरकासुर भगवान विष्णु और भूदेवी का पुत्र था. कृष्ण और सत्यभामा के रूप में ही उन्होंने अपने राक्षस पुत्र का संहार कर धर्म की स्थापना की थी. आपको बता दे कि सत्यभामा श्रीकृष्ण की चार मुख्य रानियों मे से एक थी.
भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर के संहार के बाद 16 हजार के करीब स्त्रियों को उसके कैद से छुड़ाया गया था. इस असुर के आतंक से मुक्त होने की खुशी में समस्त लोगों ने दीये जलाए. दीये जलाने के पीछे ये मान्यता है कि इससे नकारात्मक का दमन हो जाता है और चारों ओर सकारात्मकता और खुशहाली आती है. इसलिए छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है.