विश्व के एकलौते लेटे हुए हनुमान जी का मंदिर, माँ गंगा खुद नहलाती हैं हनुमान जी की प्रतिमा को

विश्व के एकलौते लेटे हुए हनुमान जी का मंदिर! माँ गंगा खुद नहलाती हैं हनुमान जी की प्रतिमा को!

धर्म नगरी प्रयागराज में संगम किनारे एक ऐसा अद्भुत मंदिर है जहां बजरंगबली की लेटी हुई प्रतिमा है, आपको बता दें कि पूरी दुनिया में ये एक इकलौता मन्दिर है, जहां बजरंगबली की लेटी हुई प्रतिमा की पूजा की जाती है. हिन्दू संस्कृति में प्रयागराज को पवित्र तीर्थ स्थल कहा गया है.

वैसे तो प्रयागराज में संगम के अलावा ऐसी बहुत सी जगह, दृश्य और मंदिर हैं जो इसे ख़ास बनाता है, लेकिन यहाँ संगम किनारे एक ऐसा अद्भुत मंदिर है जहां बजरंगबली की लेटी हुई प्रतिमा है. पूरी दुनिया में यह इकलौता मन्दिर है जहां बजरंग बलि की लेटी हुई प्रतिमा को पूजा जाता है और ऐसी मान्यता है कि संगम का पूरा पुण्य हनुमान जी के दर्शन के बाद ही पूरा होता है.

विश्व के एकलौते लेटे हुए हनुमान जी का मंदिर! माँ गंगा खुद नहलाती हैं हनुमान जी की प्रतिमा को!

माता गंगा नहलाती हैं हनुमान जी की प्रतिमा को

हनुमान जी के इस मंदिर की एक और ख़ासियत यह है कि यहाँ हर साल बजरंगबली की प्रतिमा को माँ गंगा खुद नहलाती हैं और इस दृश्य को देखने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं. ऐसी मान्यता भी है कि जिस वर्ष माँ गंगा हनुमान जी को संगम स्नान कराती हैं, उस वर्ष देश में खुशहाली और संपन्नता आती है.

इस मंदिर की खासियत

प्रयागराज में स्थित ‘श्री बड़े हनुमान जी मंदिर’ सैकड़ों साल पुराना है और हनुमान जी की यह विचित्र प्रतिमा दक्षिणाभिमुखी और 20 फीट लंबी है. ये धरातल से कम से कम 6.7 फीट नीचे है. संगम नगरी प्रयागराज में इन्‍हें बड़े हनुमान जी, किले वाले हनुमान जी, लेटे हनुमान जी और बांध वाले हनुमान जी के नाम से जाना जाता है. इस प्रतिमा के बारे में ऐसा माना जाता है कि इनके बाएं पैर के नीचे कामदा देवी और दाएं पैर के नीचे अहिरावण दबा है और उनके दाएं हाथ में राम-लक्ष्‍मण और बाएं हाथ में गदा शोभित है.

बड़ी महान हस्तियों ने भी झुकाए सर

प्रयागराज में आने वाला हर श्रद्धालु यहां हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाने और उनके दर्शन करने जरूर आते हैं. बजरंगबली के इस अनोखे मन्दिर में पूजा-अर्चना के लिए यूं तो हर रोज़ ही देश के कोने-कोने से सैकड़ों भक्त आते हैं, लेकिन मंदिर के महंत के अनुसार, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ-साथ पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सरदार बल्लब भाई पटेल और चन्द्रशेखर आज़ाद जैसे तमाम विभूतियों ने अपने सर को यहां झुकाया, पूजन किया और अपने देश के लिए मनोकामना मांगी. कहा जाता है कि यहां मांगी गई हर मनोकामना अक्सर पूरी होती है.