इस मंदिर से प्रसाद अपने साथ ले जाना नहीं माना जाता शुभ! ऊपरी सायों का होता है इलाज!

इस मंदिर से प्रसाद अपने साथ ले जाना नहीं माना जाता शुभ! ऊपरी सायों का होता है इलाज!

भारत काफी प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरों का केंद्र है. जिनके रहस्य और दैवीय शक्तियां विश्व विख्यात है. ऐसा ही एक मंदिर राजस्थान के मेहंदीपुर में दो पहाड़ियों के बीच स्थित है. जहां पर भक्तों पर आए भूत-प्रेत जैसी बाधाओं का इलाज स्वयं हनुमान जी करते हैं. हनुमान जी के यहां बाल रूप के दर्शन होते हैं. जिन्हें मेहंदीपुर बालाजी के नाम से जाना जाता है. किसी भी मंदिर के प्रसाद को ग्रहण करना और अपने साथ घर ले जाना काफी शुभ माना जाता है. परंतु ये एक ऐसा मंदिर है, जहां से लौटते समय अपने साथ प्रसाद लेकर जाना वर्जित है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि इस मंदिर से प्रसाद क्यों नहीं लेकर जाना चाहिए. आइए जानते हैं.

मेंहदीपुर बालाजी के मंदिर में बालाजी महाराज के दर्शन के लिए भक्तों का जमावड़ा लगा रहता हैं. दूर-दूर से लोग यहां पर अपनी परेशानियों को लेकर बालाजी महाराज के चरणों में आते हैं. जिसके बाद संकटमोचन महाबली हनुमान अपने भक्तों के सारे संकट और कष्ट हर लेते हैं. आमतौर पर हिंदू धर्म में प्रसाद को भगवान के चरणों का भोग समझकर ग्रहण करते हैं. साथ ही, उस प्रसाद को घर के सदस्यों और आस-पड़ोस में भी बांटते हैं. लेकिन मेंहदीपुर बालाजी की इसको लेकर अलग ही मान्यता है कि यहां का प्रसाद अपने साथ ले जाना शुभ नहीं होता. ऐसा इसलिए है क्योंकि बालाजी का इस मंदिर में लोगों पर आई ऊपरी बाधाएँ, भूत-प्रेत या नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव को खत्म किया जाता है. जिसके चलते यदि कोई मनुष्य यहां का प्रसाद ग्रहण करता है या अपने साथ लेकर जाता है, तो वो भी ऊपरी साय का शिकार हो सकता है.

इस मंदिर से प्रसाद अपने साथ ले जाना नहीं माना जाता शुभ! ऊपरी सायों का होता है इलाज!

चूँकि बालाजी महाराज के रूप में हनुमान जी इस मंदिर में विराजमान हैं और हनुमान जी अपने प्रभु श्रीराम के परम भक्त हैं, तो बालाजी महाराज उन्हीं की रक्षा करतें है जो प्रभु श्रीराम का नाम लें. ऐसे में बालाजी मंदिर के ठीक सामने सीया-राम का भव्य मंदिर बना है. जहां के दर्शन मात्र से बालाजी महाराज आपके संकट हर लेंगे.

बालाजी मंदिर में दर्शन करने से पहले कुछ नियम हैं, जिनका पालन करना भी बेहद ज़रूरी है. मेहंदीपुर बालाजी के दर्शन करने आने से एक हफ्ते पहले से ही दर्शनार्थियों को प्याज, लहसुन, नॉनवेज और शराब आदि का सेवन नहीं करना चाहिए. वरना दर्शन करने के कोई मायने नहीं रह जाते.