भारत और अन्य पड़ोसी देशों में महादेव के कई मंदिर हैं. भारत में ही भगवान शिव के कई मंदिर हैं. एक ऐसा ही अनोखा मंदिर है मध्यप्रदेश में जो खरगोन जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर आदिवासी अंचल के सिरवेल गांव में स्थित है. इस शिवलिंग का इतिहास रामायण काल से जुड़ा हुआ है. यह शिवलिंग सतपुड़ा पर्वत की एक चोटी पर बनी विशाल गुफा के अंदर विराजित है. आपको बता दें कि इस शिवलिंग के दर्शन के लिए भक्तों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है. यहां के नजारे जितने सुंदर हैं, रास्ता उतना ही कठिन है.

सुदूर जंगल में यह मंदिर सतपुड़ा की ऊंची चोटी पर बनी हुई है. गुफा के अंदर विराजित सिरवेल महादेव के दर्शन करने के लिए भक्तों को दुर्गम रास्ते से गुजरना पड़ता है. रास्ते में घुमावदार पहाड़ से निकलकर लगभग 13 झरने पार करके एक लोहे की सीढ़ी पर चढ़कर गुफा तक पहुंचना पड़ता है. तब जाकर इस अद्भुत शिवलिंग का दर्शन होता है. शिवलिंग तक पहुंचने के लिए सिर्फ एक ही रास्ता है. इसी से जाने और आने का रास्ता है.
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पहाड़ के भीतर गुफा में स्थित शिवलिंग का रोजाना प्राकृतिक रूप से जलाभिषेक होता है. महादेव के इस अनोखे मंदिर में माता पार्वती, नंदी महाराज और हनुमानजी की प्रतीमा भी स्थापित है. यहां पर एक देव कुंड भी है, जो काफी गहरा है. सिरवेल महादेव को रावण की तपोभूमि भी बताया जाता है. कहा जाता है कि रावण सतयुग में यहां पर घोर तपस्या किया करता था. रावण ने तपस्या के दौरान भगवान शिव को अपने दसों सिर यहीं पर अर्पण किए थे. इसीलिए इस स्थान का नाम सिरवेल पड़ा.

रावण ने यहाँ अपने 10 सिर किये थे अर्पण
इस मंदिर के महाराज का कहना है कि यह मंदिर सतयुग के समय रामायण काल से स्थापित है. रावण ने यहां तपस्या कर अपने शीश की बलि देकर नौ ग्रहों को प्रसन्न करके अपने साथ लंका ले गए थे. उनका मानना है कि इस अद्भुत शिवलिंग के मात्र दर्शन करने से सभी दुखों और रोगों का नाश हो जाता है.
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बरसात के दिनों में चारों तरफ हरियाली की चादर ओढ़े सतपुड़ा के घने जंगल में स्थित सिरवेल महादेव के मंदिर का नज़ारा काफी देखने वाला होता है. यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को निहारने और महादेव के दर्शन के लिए मध्यप्रदेश के साथ-साथ काफी दूरदराज से पर्यटक आते हैं.
श्रावण के महीने में यहां अखंड जप करके भगवान का श्रृंगार, महा आरती, अभिषेक के साथ कई अनुष्ठान किए जाते हैं. हर साल सिरवेल महादेव में शिवरात्रि पर तीन दिवसीय मेले का भी आयोजन होता है. जिसमें लाखों भक्त शामिल होते हैं.