भारत में हज़ारों की संख्या में शिव मंदिर हैं. जिनकी अपनी मान्यता और अपना इतिहास है. फिरोजाबाद में भी कई शिवालय हैं. ऐसा ही एक मंदिर है कालेश्वर महादेव का. फिरोजाबाद से 25 किलोमीटर दूर स्थित यह मंदिर दूर-दूर तक प्रसिद्ध है. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यह द्वापर युग में स्थापित किया गया था. जिसे आजतक पूजा जाता है. मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए हर समय श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. मान्यता है कि यहां पर जो भी व्यक्ति एक बार शिव भगवान के दर्शन कर लेता है, उसकी हर मनोकामना अवश्य ही पूरी होती है.
मंदिर के पुजारियों का कहना है कि यह मंदिर द्वापर युग में मथुरा के राजा उग्रसेन ने स्थापित किया था. साथ ही यहां जो शिवलिंग स्थापित की गई है, वह भगवान महादेव के ज्योतिर्लिंगों में से एक मानी जाती है. इसकी मुख्यधारा उज्जैन के महाकाल से जुड़ी हुई है. उन्होंने बताया कि यहां भक्तों को अनेक चमत्कार भी देखने को मिले हैं. पढ़ने वाले बच्चे से लेकर बेरोजगार घूमने वाले भक्त यहां आकर भगवान से प्रार्थना करते हैं और कालेश्वर महादेव उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं.

उग्रसेन ने स्थापित किया था शिवलिंग
लोगों का कहना है कि यहां कालेश्वर महादेव की जो शिवलिंग स्थापित है, वो द्वापर युग के समय की है. द्वापर युग में मथुरा के उग्रसेन नाम के एक राजा ने यहाँ महादेव की शिवलिंग स्थापित की थी. उन्होंने बताया कि मथुरा के राजा उग्रसेन जब यहां से होकर गुजरते थे तो इसी मंदिर में आकर भगवान कालेश्वर महादेव की पूजा करते थे.
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मंदिर का नामकरण
मंदिर के पुजारी का कहना है कि यहां स्थापित शिवलिंग काशी में स्थापित काशी विश्वनाथ महादेव के शिवलिंग से मिलती-जुलती है और उसी की तर्ज पर यहां भी महादेव की शिवलिंग को स्थापित किया गया है. उन्होंने बताया कि महादेव कालचक्र को जानने वाले हैं इसलिए इसका नाम कालेश्वर महादेव रखा गया है.