देवनगरी उत्तराखंड में बसा ऋषिकेश अपनी खूबसूरती और हरियाली के लिए दुनियाभर में मशहूर है. ऋषिकेश तरह तरह के एड्वैंचर्स के लिए काफी मशहूर है. लेकिन इसके अलावा ऋषिकेश को धर्म कार्यों के लिए माना जाता है. इन सबमें ही ऋषिकेश का त्रिवेणी घाट सभी पर्यटक स्थलों में काफी प्रसिद्ध है. ये घाट ऋषिकेश को टूरिस्ट अट्रैक्शन प्लेस होने के साथ-साथ महत्तवपूर्ण धार्मिक स्थल भी बनाता है. त्रिवेणी घाट तीन भगिनी यानी गंगा, जमुना और सरस्वती इन तीनों नदियों का संगम है. प्रात: काल श्रद्धालु गंगा नदी में डुबकी लगाने लगते है.

हिंदू धर्म में पूजा-पाठ और इसके दौरान होने वाली आरती का विशेष महत्व है. किसी भी अनुशासन या पूजा को आरती के बाद ही पूर्णरूप से सम्पन्न माना जाता है. त्रिवेणी घाट पर सदियों से मंगला आरती, भोग आरती और संध्या आरती की जाती है. मंगल आरती सुबह प्रात: काल में ही गंगा मैया को जगाने के लिए नदी किनारे की जाती है. भोग आरती दोपहर के समय की जाती है. वहीं, संध्या आरती शाम के समय की जाती है. माता गंगा की इस आरती का नज़ारा काफी भव्य और शानदार होता है.

इस आरती को देखकर हर किसी का मन गदगद हो उठता है. संध्या के समय होने वाली आरती के दौरान गंगा मैया में चमकता चांद और जोत की रोशनी और ऊपर से हज़ारों की संख्या में भक्तों की कतार इस नजारें में चार चांद लगा देते हैं. सायं काल के दौरान होने वाली ये आरती बेहद प्रसिद्ध है. इस आरती के दौरान सभी श्रद्धालु पत्तों में दीया जलाकर उसमें फूल रखकर, उस पत्तें को प्रवाहित करते हैं. सब भक्तों के प्रवाहित हुए वो जलते दिये और फूल दिखने में इतने सुंदर लगते है कि वो हमारा मन मोह लेते हैं. ऋषिकेश टूर के दौरान बिना गंगा मैया की संध्या आरती देखें, वहां जाना एकदम फिज़ूल है.