माता सती के 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ है असम के कामख्या देवी मंदिर में. माता कामख्या मंदिर असम के साथ बिहार के पूर्णिया में भी स्थित है. यह मंदिर करीब 800 साल पुराना है. यहां माता की मंगलवार को विशेष पूजा की जाती है. इस मंदिर की सबसे खास मान्यता ये है कि यहाँ पर मनुष्य का भविष्य पहले ही बता दिया जाता है.
कुष्ट रोग से मिलती है मुक्ति
कहा जाता है कि इस मंदिर में आकर माता की जो मनुष्य भी सच्चे दिल से आराधना करता है, माता उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी करती है. खासतौर से कुष्ठ रोगी को. इस मंदिर के पंड़ितों का कहना है कि जिस भक्त को भी कुष्ठ रोग होता है. वे उससे मुक्त हो जाता है. इस मन्दिर में पूजा करने श्रद्धालु बिहार ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों एवं जिलों से भी पहुंचते हैं.
800 साल पुराना है मंदिर
मंदिर के पंड़ितों का कहना है कि यह मन्दिर लगभग 800 साल पुराना है. बरसों से चली आ रही इस मंदिर की परंपरा आज भी यूं ही बरकरार है. कहते हैं कि मंदिर में माता कामाख्या की मंगलवार को विशेष रुप से पूजा की जाती है.जो व्यक्ति इस दिन सच्चे मन से आस्था और विश्वास के साथ मां की पूजा करता है, वो आसानी से अपना भविष्य जान सकता है. बस इसको जानने के लिए मंगलवार के दिन मंदिर में आकर पूजा करें. इसके बाद मन्दिर के पुजारी द्वारा व्यक्ति के भविष्य को जानने के लिए मनोकामना पान चढ़ाया जाता है.
अगर मां कामाख्या की कृपा से व्यक्ति की इच्छा पूरी होने वाली होगी, तो वो पान नीचे गिर जायेगा और अगर वो इच्छा पूरी होने वाली नहीं होगी, तो पान नहीं गिरेगा. जिससे भक्त और पुजारी आसानी से जान लेते हैं कि क्या मनुष्य के इच्छानुसार घटनाएं होंगी या नहीं.