नर्मदा के कण-कण में भगवान शंकर का वास माना जाता है. यहां पर नर्मदेश्वर शिवलिंग बनाई जाती है. इसी बात का साक्षी है मध्य-प्रदेश के खरगोन जिले में नर्मदा नदी के तट पर बसा एक छोटा-सा गांव “बकावां”. ये नर्मदा नदी से निकले कंकड़ (पत्थर) को तराशकर महादेव की शिवलिंग बनाता है. ये शिवलिंग बिना प्राण-प्रतिष्ठा के भी स्थापित की जा सकती है.

शास्त्रों में कहा गया है कि नर्मदा नदी को एक वरदान प्राप्त है, ‘नदी का कंकड़-कंकड़ शंकर कहलाएगा’. अहिल्या बाई होलकर के समय से नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा होती आ रही है. उस समय नर्मदा नदी से सीधे पत्थर निकालकर उसे शिवलिंग के रूप में स्थापित करके पूजा की जाती थी.
समय के साथ शिवलिंग स्थापित करने का बदला ढंग
नर्मदा नदी से नर्मदेश्वर शिवलिंग बनने का इतिहास करीब 100 साल पुराना है. पहले सीधे तौर पर नर्मदा के पत्थरों को निकालकर शिवलिंग के तौर पर उन्हें स्थापित करके पूजा की जाती थी. लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया इसका ढंग बदल गया और इन पत्थरों को छेनी-हथौड़े से तराशा जाने लगा. अगर आज की बात करें तो अब मशीनों, ग्लेंडरों की मदद से यह कार्य किया जाता है.

कहा जाता है कि केवट परिवारों ने शिवलिंग बनाने का काम शुरू किया था. अब गांव के 250 से ज्यादा परिवार शिवलिंग बनाने का काम कर रहे हैं. यहां 1 इंच से लेकर 25 फीट तक के शिवलिंग बनाएं जाते हैं. यह शिवलिंग देश ही नहीं विदेशों में भी पहुंचाए जाते हैं. शिवलिंग के अलावा यहां नंदी महाराज की प्रतिमाएं भी शिल्पकारों द्वारा बनाई जाती हैं.
काफी खास है बकावां गाँव
नर्मदेश्वर शिवलिंग बनाने वाले शिल्पकारों का कहना है कि गांव में पहले नर्मदा से निकले पत्थरों को हाथों से टीच कर, काट कर और घिस कर शिवलिंग का आकार दिया जाता था. उसके बाद गांव के ही मांगीलाल नामदेव नाम के एक व्यक्ति ने इसे शिवलिंग का रूप दिया. जिसके बाद उन्हें नर्मदेश्वर शिवलिंग का जनक माना जाने लगा. बकावां गांव विश्व का एकमात्र गांव है, जहां नर्मदेश्वर शिवलिंग बनते हैं. यहां बने शिवलिंगों को देखने पर उसमें प्राकृतिक ओम, स्वास्तिक, नाग, गणेश, शिव का अर्धनारीश्वर रूप, मस्तक पर तिलक जैसे कई आकृति नजर आती है.

यहां 24 फीट का शिवलिंग भी बनाया गया है. जिसका वजन लगभग 66 टन है. यह शिवलिंग अब हैदराबाद में स्थापित है. यहां बने नर्मदेश्वर शिवलिंग देश-विदेश में 12 ज्योतिर्लिंग सहित सभी तीर्थ स्थलों के मंदिरों में भी भेजे जाते हैं.