किस ऋषि के श्राप के चलते माता अंजनी अप्सरा से बनी वानर!

श्राप के चलते माता अंजनी अप्सरा से बनी वानर !

अतिबलशाली और वीर हनुमान की वीरता के किस्से तो सभी जानते हैं. उनके जन्म से लेकर राम मिलन तक की कथा सभी ने सुनी होगी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हनुमान की माता अंजनी को एक ऐसा श्राप मिला, जिसकी वजह से वो स्वर्ग की अप्सरा से वानर बन गयी थी? आइए जानते हैं कि ऐसा क्या हुआ था जिससे वे अप्सरा से वानर बनी.

क्यों मिला श्राप?

एक बार स्वर्ग में देवराज इंद्र ने एक सभा का आयोजन किया था. जिसमें भाग लेने के लिए दुर्वासा ऋषि भी स्वर्ग में पधारे थे. सभा में किसी बात को लेकर विचार विमर्श भी चल रहा था. इसी बीच सभा के बीच में ही एक ‘पुंजिकस्थली’ नाम की इन्द्रलोक की अप्सरा बार-बार इधर से उधर चक्कर लगाने लगी. जिसकी वजह से सभा अव्यवस्थित होने लगी.

श्राप के चलते माता अंजनी अप्सरा से बनी वानर !

ऋषि दुर्वासा को अप्सरा का ये आचरण अच्छा नहीं लगा. उन्होंने कई बार अप्सरा पुंजिकस्थली को टोका, लेकिन वो नहीं मानी. जिसके बाद उन्हें क्रोध आ गया और उन्होंने अप्सरा पुंजिकस्थली को श्राप दे दिया कि “तू कैसी देव-अप्सरा है जो वानरियों की तरह बार-बार आ-जाकर सभा में रुकावट पैदा कर रही है. जा, अपनी इस आदत के कारण तू वानरी हो जा.’’

अपने आचरण का यह परिणाम अप्सरा ने सोचा भी नही था,  पर अब क्या हो सकता था? भूल हो चुकी थी. जिसके कारण वो श्रापित भी हो चुकी थी. बाद में उसने हाथ जोड़कर दुर्वासा ऋषि से कहा, “हे ऋषिवर, अपनी मुर्खता के कारण अनजाने में मैं ऐसा करती रही और आपकी वर्जना पर भी ध्यान न दिया. सभा में व्यवधान डालने का मेरा कोई उद्देश्य नहीं था. कृपया बताइए, अब आपके इस श्राप से मेरा उद्धार कैसे होगा?’’

माता अंजनी के रूप में लिया पुनर्जन्म     

अप्सरा की विनती सुन ऋषि दुर्वासा बोले, ‘‘अपनी इस चंचलता के कारण अगले जन्म में तू वानर जाति के राजा विरज की कन्या के रूप में जन्म लेगी. तू देव-सभा की अप्सरा है, इसीलिए तेरे गर्भ से एक महान बलशाली, यशस्वी तथा प्रभु-भक्त बालक का जन्म होगा.’’ अप्सरा ने राजा विराज की कन्या के रूप में जन्म लिया, जहाँ उनका नाम अंजनी पड़ा. राज केसरी के साथ उनका विवाह हुआ और उन्होंने वीर बलवान बजरंग हनुमान को जन्म दिया. माता अंजनी के पुत्र होने के नाते हनुमान जी को अंजनी पुत्र के रूप में भी जाना जाता है.