मूल रूप से मेष संक्रांति दो संस्कृत वाक्यांशों से बनी है। संक्रांति का अर्थ है ‘धारा परिवर्तन’, जो सूर्य या अन्य ग्रहों की दिशा को दर्शाता है। जबकि मेष राशि का तात्पर्य नक्षत्र से है। मेष संक्रांति हिन्दू पंचांग में नववर्ष का पहला दिन होता है। यह त्योहार भारतीय में बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग नए कामों की शुरुआत करते हैं और नए उपकरण खरीदते हैं। भगवान गणेश की पूजा और लक्ष्मी माता की आराधना इस दिन विशेष रूप से की जाती है।
मेष संक्रांति की तिथि :
सनातन धर्म में भगवान सूर्य की उपासना के लिए संक्रांति पर्व को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। वर्ष 2024 के अप्रैल माह में सूर्य मेष राशि में 13 अप्रैल, शनिवार के दिन रात्रि 09:15 पर प्रवेश करेगा तथा इस दिन पुण्य काल दोपहर 12:22 से शाम 06:46 के बीच रहेगा। दूसरी तरफ महापुण्य काल शाम 04:35 से शाम 06:46 के बीच रहेगा। वैदिक धर्म के अनुसार महापुण्य काल के दौरान स्नान-दान इत्यादि कर्म करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।
मेष संक्रांति का महत्व:
मेष संक्रांति का त्योहार हिन्दू धर्म में काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस अवसर पर, लोग गंगा और यमुना नदी में पवित्र स्नान करने के लिए हरिद्वार, काशी, ऋषिकेश, मथुरा और अन्य स्थानों जैसे विभिन्न पवित्र स्थानों पर जाते हैं। लोगों का मानना है कि जो लोग पवित्र नदी में डुबकी लगाते हैं उन्हें अपने पिछले पापों से छुटकारा मिल जाता है। ऐसा करने से पितर भी प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद हमेशा बना रहता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य देव की पूजा करने से बुद्धि-ज्ञान का आशीर्वाद मिलता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
मेष संक्रांति हमारे लिए नए साल की शुरुआत नई ऊर्जा और सकारात्मकता के साथ करने के नए अवसर लेकर आती है। नए साल के पहले दिन के दौरान, लोग आगामी वर्ष में वांछित सफलता प्राप्त करने के लिए अपने कुल देवता और हिंदू देवताओं से आशीर्वाद मांगते हैं।
मेष संक्रांति लाभ:
मेष संक्रांति त्योहार को एक शुभ अवधि माना जाता है जहां लोग भगवान शिव और देवी काली जैसे देवताओं से विशेष आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पूजा अनुष्ठान करते हैं, जिससे उनके पर कृपा बनी रहे। मेष संक्रांति कठिन कार्यों में लगे लोगों के लिए यह एक फलदायी अवधि है और लोगों को जीवन में स्थिरता प्राप्त करने के लिए एक लाभदायक चरण है।