जाने क्या होती है संकष्टी चतुर्थी और विनायक चतुर्थी!

जाने क्या होती है संकष्टी चतुर्थी और विनायक चतुर्थी!

हिंदू धर्म में श्रीगणेश को प्रथम पूजनीय माना गया है. किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य की शुरूआत सबसे पहले भगवान गणेश का नाम लेकर ही होती है. श्रीगणेश को सभी देवी-देवताओं में सर्वोप्परी माना गया है. इनके बिना कोई भी कार्य शुभ नहीं माना जाता. श्रीगणेश को कई नामों से जाना जाता है. जिसमें से इन्हें विघ्नहर्ता भी बुलाया जाता है क्योंकि ये अपने भक्तों के सभी दुख और विघ्न हर लेते हैं. इसलिए महीने के दो दिन भगवान गणेश की आराधना करने के लिए काफी विशेष होते है. ये दो दिन संकष्टी चतुर्शी और विनायक चतुर्थी के नाम से जाने जाते है. आइए बताते है कि क्या होते है संकष्टी और विनायक चतुर्थी.

जाने क्या होती है संकष्टी चतुर्थी और विनायक चतुर्थी!

हर महीना शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में बटा हुआ है. दोनों पक्ष 15-15 दिनों के होते हैं. साथ ही दोनों पक्षों में एक-एक गणेश संकष्टी आती है. हर महीने की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश संकष्टी मनाई जाती  है. संकष्टी का अर्थ है- संकट हरने वाला और संकट तो गणेश महाराज हरेंगे, तो संकष्टी चतुर्थी वाले दिन भगवान गणेश की पूरे विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए. संकष्टी चतुर्थी पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष में आती है. इस दिन श्रीगणेश की पूजा करने से वे अपने भक्त की सभी समस्याओं को दूर कर देते हैं. साल में कुल 13 संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है.

वहीं हर अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष को मनाए जाने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते है. ये दोनों ही चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित है. संकष्टी चतुर्थी के दिन से 11 दिनों तक लगातार विनायक चतुर्थी तक 27 हरि दुर्वा की पत्तियों को एक कलावे से बांधकर गणेशजी को चढ़ाना चाहिए. 11 दिनों तक प्रतिदिन ये करने से श्रीगणेश की कृपा बरसती है.