महाभारत के महान योद्धा थे खाटूश्याम बाबा के दादा !

महाभारत के महान योद्धा थे खाटूश्याम बाबा के दादा !

राजस्थान के सीकर शहर से लगभग 43 तिरतालिस किलोमीटर की दूरी पर बसे खाटू गांव में खाटूश्याम विराजते हैं. इस जगह को खाटूधाम भी कहते हैं. वैसे तो भारत में कई प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर हैं. लेकिन खाटू मंदिर का इतिहास महाभारत कालीन से जुड़ा है. मान्यता है कि इस मंदिर में बर्बरीक का शीश मौजूद है. जो महाभारत काल के श्रेष्ठ योद्धा थे.

अधर्म पर धर्म की जीत हासिल करने के लिए बर्बरीक ने श्रीकृष्ण की सहायता की थी. जिसके चलते उन्होंने अपना शीश श्रीकृष्ण को दान कर दिया था. इसके बाद वे शीश के दानी के नाम से विख्यात हो गए. साथ ही, श्रीकृष्ण से मिले आशीर्वाद के चलते इस कलयुग में सभी हारे के सहारा बन गए. भगवान कृष्ण के दिए आशीर्वाद के कारण आज हर कोई खाटूश्याम में विश्वास रखता है. हर कोई उन्हें अपना सहारा मानता है और श्याम बाबा के नाम से जानता है. बर्बरीक नाम होने के बाद भी उनका नाम खाटू गांव पर पड़ा. लेकिन,बर्बरीक की ही तरह उनके दादा भी एक बहुत बड़ें महारथी थे. जिनका महाभारत में काफी दिलचस्प किरदार और महत्वपूर्ण भूमिका रही है. तो आइए जानते हैं, कौन है बर्बरीक के वो महारथी दादा?

बर्बरीक कौन थे?

महाभारत के महान योद्धा थे खाटूश्याम बाबा के दादा !

बर्बरीक महादेव के असीम भक्त थे. उन्‍होंने आदिशक्ति की तपस्‍या कर असीमित शक्तियां हासिल की. साथ ही, महादेव ने उन्हें वरदान में तीन अभेद्य बाण भी दिए. जिसके चलते उन्हें तीन बाण धारी भी कहा जाता है. महादेव के आशीर्वाद से बर्बरीक के पास ऐसी सिद्धियां थी, जिससे पलक झपकते ही पूरे महाभारत का युद्ध खत्म कर सकते थे. इसलिए महाभारत युद्ध देखने जाते समय, उनकी मां ने बर्बरीक से वचन लिया था कि जो भी पक्ष दुर्बल होगा. तुम उसका ही सहारा बनना. अब श्रीकृष्ण को ये बात अच्छे से ज्ञात थी कि ऐसे तो अधर्म पर धर्म को कभी भी स्थापित नहीं किया जा सकेगा. इसलिए समय रहते ही श्रीकृष्ण एक ब्राह्मण का वेश बनाकर जाते हैं और बर्बरीक से एक साथ पीपल वृक्ष के सभी पत्ते भेदने को कहते हैं. लेकिन कृष्ण ने छल से बर्बरीक को सारे पत्ते भेदने नहीं दिये और ब्राह्मण का भेश धारण कर उनसे उनका शीश मांग लिया. जब बर्बरीक को ज्ञात हुआ कि ब्राह्मण के रूप में स्वयं श्रीकृष्ण है, तो उन्होंने खुशी-खुशी उन्हें अपना शीश दान दे दिया.

खाटूश्याम के महारथी दादा कौन थे?

खाटूश्याम, घटोत्कच और नागकन्या अहिलावती मोरवी के जेष्ठ पुत्र थे. उनके दादा पांडवों में सबसे ज्यादा ताकतवर थे. संपूर्ण महाभारत, पांडवों और कौरवों के ईर्द-गिर्द घुमती है. पांडवों में पांच पांडव थे. युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव. घटोतक्च पांडू पुत्र भीम के पौते थे. पूरी महाभारत भीम के शक्तिशाली और उनकी श्रेष्ठता का ब्खान करती है. बर्बरीक की दादी राक्षस कुल की हिडिंबा थीं. जो भीम की पत्नी थी. तो ऐसे में बर्बरीक भी पांडू कुल से ही हुए.